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‘अहम निर्णय’ शीषर्क वाले पहले संस्करण में इस बात का विश्लेषण और विचार विमर्श किया गया है कि यदि राजीव गांधी के नहीं होने पर नेतृत्व में अचानक बदलाव होता है तो घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक स्थिति में क्या परिदृश्य सामने आने की संभावना है।
साथ ही इसका अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इसमें उस समय विभिन्न अतिवादी समूहों से राजीव के जीवन को खतरे का भी जिक्र किया गया है और उनकी हत्या की आशंका जताई गई है।
दिलचस्प बात यह है कि इस रिपोर्ट में पी वी नरसिंह राव और वी पी सिंह का जिक्र किया गया है, जो राजीव के अचानक जाने के बाद ‘अंतरिम रूप से कार्यभार’ संभाल सकते हैं या ‘संभवित उम्मीदवार’ हो सकते हैं। आपको बता दें कि राव ने 1991 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था।
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