भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से नोटबंदी के फैसले के चलते चीनी कंपनियों को फायदा मिल रहा हैं। माना जा रहा हैं की ई-पेमेंट कंपनियों को फायदा मिल सकता है।
500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद किए जाने के बाद देश में लोग कैशलेस विकल्पों की तलाश में जुटे हैं। आपको बता दें कि देश में सबसे ज्यादा चर्चित दो ई-वॉलेट पेटीएम और स्नैपडील के मालिकाना हक वाले फ्रीचार्ज में चीन की दिग्गज ऑनलाइन रिटेल कंपनी अलीबाबा का निवेश है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक दो अन्य बड़े प्लेयर्स मोबिक्विक और ऑक्सिजन का भी कहना है कि चीनी निवेश के लिए उनकी बातचीत चल रही है। एक दिग्गज ई-वॉलेट कंपनी के चीफ एग्जिक्यूटिव ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि नोटबंदी के चलते ई-पेमेंट फर्म्स को निवेश हासिल करने के लिए बड़ा अवसर मिला है। खासतौर पर ई-वॉलेट कंपनियों को चीन से बड़ा निवेश मिलने की संभावना है।
बीते कई दशकों में नरेंद्र मोदी सरकार ने दुनिया में सबसे बड़े करंसी रीप्लेसमेंट का फैसला लिया है। इसके चलते लोगों को बैंकों और एटीएम की लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है। ऐसे में लोग कैशलेस विकल्पों की तलाश में जुटे हैं। देश की 86 पर्सेंट मुद्रा को अवैध करार दिए जाने के बाद देश में कैश क्रंच की स्थिति है और ज्यादा से ज्यादा लोग ई-पेमेंट की राह पर हैं। देश में ई-पेमेंट सेक्टर की लीडिंग कंपनी पेटीएम के मुताबिक नोटबंदी के बाद से उसकी ग्रोथ 1000 पर्सेंट बढ़ गई है। पेटीएम पर हर दिन 1.2 अरब डॉलर की 70 लाख ट्रांजैक्शंस हो रही हैं। अन्य कंपनियों का भी कहना है कि बीते कुछ सप्ताह में उनका टर्नओवर खासा बढ़ गया है। चीन की कंपनी अलीबाबा ने पेटीएम की होल्डिंग कंपनी वन97 कॉम्युनिकेशंस में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी खरीदी है। अलीबाबा ने पेटीएम में 680 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश कर 40 पर्सेंट हिस्सा लिया है।
ई-वॉलेट फर्म मोबिक्विक के फाउंडर-सीईओ बिपिन प्रीत सिंह ने कहा, ‘डीमॉनेटाइजेशन के चलते ज्यादातर भारतीयों को कैश के विकल्प के तौर पर डिजिटल मनी को अपनाना पड़ रहा है।’ नोटबंदी के फैसले के बाद से से इस कंपनी की ट्रांजैक्शंस में 7,000 पर्सेंट का इजाफा हुआ है। मोबाक्विक में हॉन्ग कॉन्ग और ताइवान की कई कंपनियों ने निवेश किया है। इसके अलावा चीनी निवेशक भी इस फर्म के संपर्क में हैं।