क्यों खतरनाक है यह न्यूक्लियर फुटबॉल?
1-अमेरिकी राष्ट्रपति के न्यूक्लियर हमला शुरू करने के अधिकार पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, कुछ तरीके ऐसे हैं जिनके जरिए उनके फैसले की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। अगर ऐसा लगता है कि अमेरिका पर न्यूक्लियर हमले का खतरा है तो इसकी गंभीरता को आंकते हुए जवाबी कार्रवाई का फैसला करने के लिए राष्ट्रपति के पास कुछ मिनटों का ही वक्त होता है। उनके एक इशारे पर 925 न्यूक्लियर बम पूरी दुनिया में तबाही मचाने के लिए लॉन्च हो सकते हैं। ये बम हिरोशिमा में फटे बम से 17 हजार गुना ज्यादा तबाही मचा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चाहें तो न्यूक्लियर हमले की पहल भी कर सकते हैं।
2-ट्रंप यह कह चुके हैं कि अगर कोई अमेरिका पर वार करता है तो उन्हें न्यूक्लियर हमले से जवाब देने में कोई ऐतराज नहीं है। न्यूक्लियर हमला सबसे विध्वंसक जवाब है। दुनिया में इसका सिर्फ एक बार इस्तेमाल हुआ है। हिरोशिमा और नागासाकी में हुई तबाही के बाद दुनिया को इसकी विभीषिका के बारे में अच्छे से पता है। शायद तभी उसके बाद कभी भी किसी भी जंग में इस विकल्प को इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचा गया।
3-अमेरिकी न्यूक्लियर लॉन्च कंट्रोल से जुड़े दस पूर्व अफसरों ने एक ओपन लेटर में कहा है कि न्यूक्लियर लॉन्च कोड्स ट्रंप के हाथों में सुरक्षित नहीं हैं। ये वही लोग हैं, जिनके हाथ में कभी राष्ट्रपति के आदेश पर न्यूक्लियर हमले की शुरुआत करने की जिम्मेदारी थी। इन अफसरों के मुताबिक, न्यूक्लियर हमले का फैसला लेने के लिए राष्ट्रपति को ‘शांतचित्त, फैसले लेने की क्षमता वाला, खुद पर काबू रखने वाला और कूटनीतिक क्षमतावान’ होना चाहिए लेकिन इनमें से कोई भी गुण ट्रंप में नहीं हैं।
4-ऐसे कई वाकये हैं, जब इस न्यूक्लियर फुटबॉल ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को डरने के लिए मजबूर कर दिया। 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अपना ‘बिस्किट’ कई महीनों के लिए गुम कर दिया। हालांकि, बाद में इसे ढूंढ निकाला गया। इसी तरह 1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति रीगन पर हमला होने के बाद ऐसी ही घटना हुई। उनका सहयोगी न्यूक्लियर फुटबॉल लेकर अस्पताल नहीं पहुंच पाया। वहीं, ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले रीगन के कपड़े उतारे गए थे। बाद में ‘बिस्किट’ अस्पताल में एक प्लास्टिक बैग में पड़ा हुआ मिला था।