देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर प्रवीण राव ने कहा, ‘दुनिया में पहले ही संरक्षणवाद जोर पकड़ चुका है और इमिग्रेशन पर इसका बड़ा असर पड़ा है। दुर्भाग्य से लोग हाई-स्किल अस्थायी वर्कफोर्स को लेकर भ्रमित रहते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि वीजा पर आने वाले लोग अस्थायी ही होते हैं।’ कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि अमेरिका में अब भारत से जाने वाले इंजीनियरों पर काफी हद कमी आ सकती है। अमेरिका का सिलिकॉन वैली स्थित बिजनेस भारत के सस्ते आईटी और सॉफ्टवेयर सल्यूशंस पर निर्भर रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से वीजा को लेकर कड़ी नीति अपनाने पर भारतीय आईटी कंपनियां अमेरिका में कम डिवेलपर्स और इंजिनियरों को ले जाएंगी, बल्कि वहीं के कॉलेजों से कैंपस प्लेसमेंट पर जोर दे सकती हैं। इन्फोसिस के राव ने कहा, ‘यदि यहां एंप्लॉयीज की पर्याप्त उपलब्धता होती है तो हमें स्थानीय लोगों को हायर करना होगा। खासतौर पर यहां की यूनिवर्सिटीज से हमें फ्रेशर्स को लेना होगा।