भारतीय मूल के डॉक्टर लियो वराडकर का आयरलैंड का प्रधानमंत्री बनना तय हो गया है। बता दें कि लियो वरधकर समलैंगिक हैं। वरधकर ने 2015 में अपने समलैंगिक होने की बात सार्वजनिक की थी। फाइन गेल पार्टी के नेतृत्व में उन्हें जीत हासिल की। वरधकर इस माह के अंत में आधिकारिक तौर पर ताओसीच का पदभार संभालेंगे। बता दें कि आयरलैंड में प्रधानमंत्री के पद को ताओसीच कहा जाता है। वरधकर ने 60 फीसदी वोट लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी और हाउसिंग मिनिस्टर साइमन कोवेनी को हराया।
कहा जा रहा है कि इस महीने के आखिर तक ताओसीच का पद संभालने के साथ ही वह आयलैंड के अबतक के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बन जाएंगे। बता दें कि आयरलैंड में प्रधानमंत्री पद को ताओसीच कहा जाता है। डबलिन के मेनशन हाउस में मतगणना के बाद 38 साल के लियो को पार्टी का 11वां नेता घोषित किया गया। वराडकर को चुनाव में तीन इलेक्टोरल कॉलेज में 60 फीसदी वोट मिले हैं जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी साइमन कोविनी को 40 फीसदी मत मिले हैं। वराडकर की जीत का उनके परिवार ने भारत में भी जश्न मनाया।
वराडकर की जीत का उनके परिवार ने भारत में भी जश्न मनाया। मुंबई में उनकी रिश्तेदार शुभदा ने कहा, ‘हम इस खबर से काफी खुश हैं। हम अभियान और मतगणना पर नजर बनाये हुए थे। परिणाम की घोषणा होते ही हमने केक काटा और उनकी सफलता का जश्न मनाया।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी आयरलैंड जाने पर निर्णय नहीं लिया है, लेकिन मैं जल्द से जल्द उनसे मुलाकात करूंगी।’
कठिन सफर, मुश्किल डगर
लियो वराडकर के आयरलैंड की राजनीति के शीर्ष तक पहुंचने का सफ़र अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियों में रहा है। ये सुर्ख़ियां इस तथ्य पर ही केंद्रित रही हैं कि वो ‘भारतीय मूल’ के हैं और खुले तौर पर समलैंगिक हैं। वराडकर यूरोप के सामाजिक रूप से सबसे रूढ़िवादी देश का उदारवादी का चेहरा बन गए हैं। लेकिन आयरलैंड में न ही उनका सेक्स जीवन और न ही नस्लीय पहचान बहुत ज़्यादा मायने रखते हैं।
उन्होंने देश के सत्ताधारी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी फ़ाइन गेल के नेतृत्व का चुनाव जीत लिया है और वो अगले कुछ सप्ताह में देश के प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
उनका चुनाव अभियान सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित रहा है वराडकर के सामने सबसे बड़ी ।चुनौती आयरलैंड की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और ब्रेक्सिट के बाद के हालात से निबटना होगा।