व्हाइट हाउस की महिला स्टाफर ने झेला मुस्लिम होने का दंश, ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही छोड़नी पड़ी नौकरी

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

क्या बोलीं रुमाना?

“मैंने सोचा था कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन में भी NSC स्टाफ में काम करती रहूंगी। लेकिन इमिग्रेंट्स बैन वाले एग्जीक्यूटिव ऑर्डर से उनके इस्लाम और अमेरिकी मुस्लिमों को लेकर उनकी सोच का पता चलता है। मैंने ट्रम्प के प्रेसिडेंट बनने के बाद 8 दिन और काम किया। लेकिन जब उन्होंने मुस्लिम देशों के लोगों और सीरियाई रिफ्यूजियों के यूएस आने पर बैन पर ऑर्डर पास किया, तब मैंने उनके साथ काम न करने का फैसला किया। ट्रम्प के ऑर्डर से लगता है कि वे हमें सिटिजंस की तरह नहीं, बल्कि एक खतरे की तरह देखते हैं।”

इसे भी पढ़िए :  अमेरिका में बोले पीएम मोदी, 'सर्जिकल स्ट्राइक ने दिखाई भारत की ताकत, सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं'

‘ये भी नहीं पूछा- क्यों छोड़ रही हो जॉब’

रुमाना ने जॉब छोड़ने के बारे में NSC के कम्युनिकेशन एडवाइजर माइकल एंटन को बताया था। वे कहती हैं, “चौंकाने वाली बात तो ये रही कि जब मैंने उन्होंने बताया और वो खामोश हो गए। तब मुझे कहना पड़ा- जाने दीजिए। उन्होंने ये तक नहीं पूछा कि आखिर मैं जॉब छोड़ क्यों रही हूं।”

इसे भी पढ़िए :  फिर दहला पाकिस्तान, आत्मघाती हमले में 4 आर्मी जवान समेत 6 की मौत

रुमाना के मुताबिक, “मैंने एंटन से कहा- मैं इसलिए छोड़ रही हूं क्योंकि बेइज्जती-सी महसूस हो रही है। मैं जिस ऐतिहासिक इमारत में एक एडमिनिस्ट्रेशन के तहत काम करती हूं, रोज आती-जाती हूं। उसे एक अमेरिकन और मुस्लिम होने के नाते हम पर भरोसा नहीं है। हम पर इल्जाम लगाया जा रहा है। ऐसा करके एडमिनिस्ट्रेशन ने डेमोक्रेसी के मूल ढांचे पर हमला किया है।”

इसे भी पढ़िए :  डोनाल्ड ट्रंप ने पॉर्न स्टार को दिया सेक्स के बदले पैसों का लालच!

कौन हैं रुमाना?

1978 में रुमाना के पेरेंट्स बांग्लादेश से अमेरिका आ गए थे। वे बराक ओबामा से काफी प्रभावित हुई। 2011 में जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के बाद रुमाना ने व्हाइट हाउस में ज्वाइन कर लिया।

 

 

2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse