नई दिल्ली। बेहद स्पष्ट और कड़े संदेश में भारत ने सोमवार(19 सितंबर) को पाकिस्तान से आतंकवाद का समर्थन बंद करने तथा अवैध तरीके से कब्जा किए गए पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को खाली करने को कहा। साथ ही भारत ने बलूचिस्तान, खबर-पख्तूनख्वा और सिंध में मानवाधिकारों के उल्लंघन तथा अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के मुद्दे को भी उठाया।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् (एचआरसी) के 33वें सत्र में उत्तर देने के अधिकार के तहत भारत ने कहा कि ‘‘हम, एक बार फिर, पाकिस्तान से कहते हैं कि वह भारत के किसी भी हिस्से में हिंसा तथा आतंकवाद को उकसाना और समर्थन देना बंद करे तथा किसी भी रूप में हमारे अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी बंद करे। हम परिषद से अनुरोध करते हैं कि वह पाकिस्तान से अवैध तरीके से कब्जा किए गए पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर के क्षेत्र को खाली करने को कहे।’’
भारत ने कहा कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के बारे में झूठे तथ्यों तथा आंकड़ों के आधार पर झूठी बातें बताकर लगातार परिषद् के धर्य तथा बुद्धिमतता की परीक्षा ले रहा है। उसने कहा कि पाकिस्तान का 1947 से ही कश्मीर की सीमा पर नजर है और उसका पुख्ता सबूत 1947, 1965 और 1999 में उसकी ओर से दिखायी आक्रामकता है। वर्तमान में पाकिस्तान ने अवैध तरीके से और जबरन जम्मू-कश्मीर में 78,000 वर्ग किलोमीटर (लगभग) भारतीय भूमि पर कब्जा किया हुआ है।
भारत ने कहा कि कश्मीर में अशांति का मूल कारण पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित सीमापार का आतंकवाद है। पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाते हुए भारत ने कहा कि अन्य प्रांतों सहित बलूचिस्तान के लोग रोजाना के अपमान और प्रताड़ना को दशकों से झेल रहे हैं।
उसने कहा कि ‘‘हिन्दुओं, ईसाई, शिया, अहमदिया, इस्माइली और अन्य धार्मिक तथा पंथिक अल्पसंख्यक समुदायों को भेदभाव, प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है और पाकिस्तान में उनपर निशाना लगाकर हमला किया जाता है। अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है। ईशनिंदा कानून लागू है और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ खूब प्रयुक्त होता है।’’