जम्मू कश्मीर पर यूएनएचसीएचआर की टिप्पणी पर भारत की तीखी प्रतिक्रिया

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। भारत ने जम्मू कश्मीर की स्थिति पर मानवाधिकार मामलों के संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीएचआर) की टिप्पणी पर मंगलवार(13 सितंबर) को तीखी प्रतिक्रिया जतायी और कहा कि आतंकवाद मानवाधिकारों का ‘‘सबसे बड़ा उल्लंघन’’ है और इसे किसी भी निष्पक्ष और तटस्थ पर्यवेक्षक द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।

भारत ने साथ ही जोर देकर कहा कि घाटी में अशांति ‘‘पाकिस्तान से लगातार उत्पन्न होने वाले सीमापार आतंकवाद से बढ़ रही है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूएनएचसीएचआर को घाटी में टकराव के कारण पर विरोधाभासी जानकारी मिली है। मंत्रालय ने कहा कि भारत का जम्मू कश्मीर राज्य और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थिति के बीच कोई तुलना नहीं है।

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मंत्रालय ने कहा कि ‘‘भारत के जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार है, जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक पाकिस्तानी राजनयिक को मनमाने ढंग से उसका प्रमुख नियुक्त कर दिया गया।’’

विदेश मंत्रालय ने यह बात मानवाधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों से नियंत्रण रेखा के दोनों ओर ‘‘बिना शर्त पहुंच’’ प्रदान करने के लिए कहा था जिससे कि वह कश्मीर में स्थिति पर ‘‘तटस्थ मूल्यांकन’’ कर सकें।

यूएनएचसीएचआर जैद राअद अल हुसैन ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने एक टीम को नियंत्रण रेखा के अपनी ओर औपचारिक रूप से आमंत्रित करते हुए एक पत्र पहले ही सौंप दिया है, लेकिन साथ ही कहा है कि ऐसा वह तभी करे जब उसकी टीम साथ-साथ भारत की ओर भी जाए।

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वर्तमान स्थिति आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के एक स्वयंभू कमांडर के मारे जाने के बाद उत्पन्न हुई जो कि कई आतंकवादी कृत्यों में वांछित था। इसमें कहा गया कि ‘‘स्थिति पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमापार आतंकवाद से और भी बिगड़ी। आतंकवाद मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है और इसे किसी भी तटस्थ और निष्पक्ष पर्यवेक्षक द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए। हताहत होने वाले भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों की उच्च संख्या उस जबर्दस्त संयम को प्रतिबिंबित करती है जो उन्होंने मुश्किल स्थिति में दिखाया है।’’

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मंत्रालय ने कहा कि बाहरी मिशन के मुद्दे पर 12 अगस्त 2016 को जम्मू कश्मीर की स्थिति पर चर्चा करने के लिए आयोजित सर्वदलीय बैठक में विचार किया गया था। उसने कहा कि ‘‘यह सर्वसम्मति से महसूस किया गया कि भारतीय लोकतंत्र में वह सब कुछ मौजूद है जो वैध शिकायतों के समाधान के लिए जरूरी है। तदनुसार एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने श्रीनगर का दौरा किया।

मंत्रालय ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि आतंकवाद और मानवाधिकार उल्लंघन के बीच संबंध की पहचान की जाएगी और इस पर जिनिवा में चर्चा होगी। मानवाधिकार परिषद का 33वां सत्र मंगलवार से जिनिवा में शुरू हुआ।