संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर का नाम शामिल करने की भारत की कोशिश को नाकाम बनाने की चीन के कदम के कुछ ही महीने बाद भारत ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति पर हमला करते हुए कहा है कि यह ‘कुछ’ ‘‘राष्ट्रों की बेहद लघुकालिक संकीर्ण प्राथिकताओं’ को दर्शाता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के काउंसलर अभिषेक सिंह ने विश्व निकाय में कहा कि सुरक्षा परिषद के आतंकवाद निरोधी प्रस्ताव सहित कई उपाय अतंरराष्ट्रीय आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए हैं। उन्होंने ‘विदेशी आतंकवादी लड़ाकों पर आतंकवाद-निरोधी समिति’ की एक खुली ब्रीफिंग में शुक्रवार को कहा कि यह मामला तकनीकी पहलुओं का चुस्त दुरूस्त करने का कम है और सामूहिक राजनीतिक इच्छा शक्ति को गोलबंद करने का ज्यादा है जो आतंकवाद के प्रति ‘शून्य सहनशक्ति’ को दर्शाए और इस तरह के कानूनों के तहत निर्दिष्ट उपायों का पूर्ण कार्यान्वयन करे।
सिंह ने कहा कि यह ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि’ को अंतिम रूप देने में सहमति की लगातार कमी में प्रतिबिंबित हो रही है। यह संधि एक एकताबद्ध अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मजबूत संदेश भेजेगा। जिस तरह प्रतिबंध समिति काम कर रही है उसमें भी यह कुछ की बेहद लघुकालिक संकीण प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करता है।
उन्होंने इंगित किया कि दिसंबर में जारी सुरक्षा परिषद् की एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में आतंकवादी हमलों का ‘‘स्वरूप’’ रेखांकित करती है जो दो दशक से भी ज्यादा समय पहले उभरना शुरू हुआ था और इसमें कमी का कोई संकेत नहीं है