इंडोनेशिया के महिला आयोग ने भी सख्त सजाओं का आपत्ति जताते हुए कहा है कि हर साल उनका मूल्यांकन होना चाहिए कि उनसे अपराधों को रोकने में मदद मिल रही है या नहीं। आयोग के बयान में कहा गया है, “जिन देशों में रासायनिक रूप से बधिया करने की सजा है, वहां बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। दूसरा, ये प्रक्रिया बहुत महंगी भी है। हमें ये पैसा पीड़ितों की मदद पर खर्च करना चाहिए।” इंडोनेशिया में डॉक्टरों के संघ ने कहा है कि लोगों को रासायनिक तौर पर बधिया करना उनके पेशेवर सिद्धांतों के खिलाफ है और संघ का सदस्य कोई डॉक्टर ऐसे काम का हिस्सा नहीं बनेगा।
लेकिन सरकार को उम्मीद है कि नए कानून से बच्चों से खिलाफ यौन हिंसा को रोकने में मदद मिलेगी। इंडोनेशिया की महिला सशक्तीकरण और बाल संरक्षण मंत्री डॉ. योहाना सुजाना येमबिसे कहती हैं, “अब हमारे यहां सख्त सजाएं हैं: मौत की सजा, उम्र कैद, रासायनिक रूप से बधिया करना, दोषियों के नाम सार्वजनिक करना और उन पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगाना। ये अब कानून है। भले आपको इन विचारों से नफरत हो, लेकिन हर कोई इनका समर्थन कर रहा है।” उनका इशारा आम लोगों की तरफ है जो देश में बाल यौन शोषण के कई चर्चित मामलों को देखते हुए सख्त कदम की मांग कर रहे थे।

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