संयुक्त राष्ट्र को सिंधु जल संधि के कायम रहने की उम्मीद कम

0
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर की झेलम और नीलम नंदियों पर वुलार बैराज और किशनगंगा परियोजना इसी तरह की समस्या को सामने रखती हैं, जहां रबी की फसल के दौरान पानी की कमी की स्थिति गंभीर हो जाती है और खरीफ के दौरान प्रवाह 20 फीसदी तक रह जाता है।

इसे भी पढ़िए :  UN की रिपोर्ट ने सरकार को दी राहत, भारत का विकास दर 7.7 फीसदी रहने का अनुमान  

रिपोर्ट में कहा गया है कि 40 वर्षों से सिंधु जल संधि ने विवाद के समाधान का अनोखा उदाहरण रही है। 1990 के दशक की शुरूआत में पानी की कमी ने संधि में तनाव पैदा किया। हकीकत यह है कि अब इस संधि के कायम रहने की उम्मीद बहुत कम लगती है, हालांकि इस संधि से बाहर निकलने की कोई वजह नहीं है।

इसे भी पढ़िए :  अमेरिका ने अपने नागरिको को दी सलाह, कहा- अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान की यात्रा ना करें
2 of 2Next
Use your ← → (arrow) keys to browse