पिछले 3 सालों में करीब 4 बार मोसुल में IS के खिलाफ जंग का बिगुल बजाया जा चुका है। अमेरिका के नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को भी मध्यपूर्व में IS के खिलाफ जीत हासिल करने की सख्त जरूरत है। ट्रंप अपने चुनावी भाषणों में कई बार अमेरिकी जनता से वादा कर चुके हैं कि वह सत्ता में आने के बाद IS का खात्मा कर देंगे। उधर इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अब्दी पहले भी मोसुल को IS के कब्जे से छुड़वाने का संकल्प जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि 2016 के बसंत तक मोसुल में IS का सफाया कर दिया जाएगा। जाहिर है कि यह समयसीमा एक साल पहले बीत चुकी है। IS के खिलाफ मोसुल में जीत हासिल करने की उन्हें भी सख्त जरूरत है।
IS के हमलों के कारण इराकी प्रधानमंत्री अपने सबसे प्रशिक्षित और बेहतर फौज का करीब आधा हिस्सा पहले ही गंवा चुके हैं। पश्चिमी मोसुल के पुराने इलाकों में, जहां काफी संकरी गलियां हैं, वहां इराकी फौज के लिए ना तो तोपें ज्यादा मददगार साबित होंगी और ना ही बख्तरबंद गाड़ियां ही उन्हें खास फायदा पहुंचाएंगी।