मोसुल : इराकी सेना और उसके सहयोगी शिया लड़ाके और अमेरिका, तुर्की, ब्रिटेन और कुर्दिश फौजों के कुछ सैनिकों ने पुराने मोसुल हवाईअड्डे के पास ISIS द्वारा छोड़ दिए गए कुछ छोटे गांवों पर कब्जा कर लिया है। इस जीत को मोसुल पर मिली जीत समझना गलतफहमी होगी। मोसुल में ISIS पर जीत हासिल करना और इसे आतंकवादियों के कब्जे से पूरी तरह छुड़ाने में अभी गठबंधन सेना को महीनों का समय लगने की उम्मीद है। अगर ISIS के खिलाफ मोसुल में शुरू हुआ यह अभियान सफल भी हो जाता है, तो उसके बाद पैदा हुए हालात बहुत बेहतर नहीं होंगे। इसकी असली चोट मोसुल के पश्चिम की ओर बसे सीरिया के एक शहर पर साफ-साफ देखी जा सकेगी।
पश्चिमी मोसुल में इराकी गठबंधन सेना ने ISIS के खिलाफ ताजा बख्तरबंद हमला शुरू किया है। इराक के प्रधानमंत्री और अमेरिकी सेना के जनरल ISIS को यहां से पूरी तरह साफ करने का दावा भी कर रहे हैं। इन सबसे दूर सीरिया के डेरी ज़ोर शहर में रह रहे सरकारी फौज और करीब 90,000 आम नागरिकों को ISIS ने अलग-थलग कर दिया है। सीरिया के राष्ट्रपति असद के हेलिकॉप्टर और सीरियन सेना के कारण पिछले 5 साल से यहां IS अपना कब्जा नहीं जमा पाया था। अब आशंका है कि अगर मोसुल में ISIS को हार मिलती है, तो आने वाले हफ्तों में यहां घिरे आतंकवादी मोसुल छोड़कर 340 मील दूर पश्चिम में स्थित डेरी ज़ोर शहर का रुख कर सकते हैं। वहां पहले से जो ISIS आतंकी हैं, उन्हें मोसुल से भागकर आने वाले अपने साथी आतंकियों का समर्थन मिल जाएगा और वे ज्यादा मजबूत हो जाएंगे। दूसरे शब्दों में कहें, तो मोसुल में इराकी गठबंधन फौज को मिली जीत का मतलब होगा डेरी ज़ोर में IS के हाथों हारना।