नई दिल्ली : दुनियाभर में अपने आतंकी कारनामों के लिए कुख्यात पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आइएसआइ) की फिर तूती बोलने लगी है। वह फिर भारत के खिलाफ अपना खेल शुरू कर चुकी है और पीएम नवाज शरीफ उसके हाथों की कठपुतली बन चुके हैं। आतंकवाद के खिलाफ दुनिया में भड़के रोष की वजह से पिछले कुछ वर्षो से अपने दड़बे में दुबकी यह एजेंसी पाकिस्तानी सेना, शरीफ सरकार और भारत में आतंक मचाने को तैयार जैश-ए-मुहम्मद व लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के बीच सबसे अहम पुल बन चुकी है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों को आइएसआइ की बढ़ी ताकत के बारे में अब साफ तौर पर सूचना मिलने लगी है। इन एजेंसियों का कहना है कि इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने पाकिस्तान में पठानकोट हमले की जांच को न सिर्फ पूरी तरह से दबा दिया है बल्कि शरीफ सरकार की तरफ से जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर पर लगी पाबंदी को भी खत्म करवा दिया। इस बात की पुष्टि पाकिस्तान की संसद में खुद वहां के संसदीय कार्य मंत्री शेख आफताब अहमद ने पठानकोट हमले से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए की। उन्होंने कहा, पठानकोट हमले की जांच से जुड़ी बातें काफी संवेदनशील हैं और इसकी जानकारी सिर्फ खुफिया एजेंसियों को है। उन्होंने परोक्ष तौर पर स्वीकार किया कि खुफिया एजेंसी आइएसआइ वहां की केंद्र सरकार से भी बड़ी है।
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