महज़ तीन साल में कैसे करोड़पति बन गईं मलाला युसुफज़ई

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Malala Yousafzai, the 16-year-old Pakistani advocate for girls education who was shot in the head by the Taliban in 2012, officially opens The Library of Birmingham in Birmingham, central England, on September 3, 2013. Pakistani activist Malala Yousafzai, shot in the head by a Taliban militant last October after campaigning for girls' right to education, gave an address as she officially opened the new Library of Birmingham. AFP PHOTO / PAUL ELLIS

करीब 2 साल पहले नोबेल पुरस्कार से नवाजी गईं पाकिस्तान की शांति दूत मलाला युसुफज़ई देखते ही देखते एक आम लड़की से करोड़रति बन गईं। दरअसल मलाला ने एक किताब लिपिबृद्ध की थी। जिसका शीर्षक था आई एम मलाका, इस किताब में मलाका की जिंदगी और उनसे जुड़े संघर्षों के बारे में लिखा गया था। ये किताब लोगों को इतनी पसंद आई कि इस किताब की बिक्री और व्याख्यानों से मिलने वाली राशि को पाकर वो करोड़पति बन गईं। पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान शासन के बीच अपने जीवन को मलाला ने इस किताब के जरिए लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की। औ उनकी ये कोशिष इतनी सफल रही कि लोगों ने इस किताब को हाथों-हाथ लिया।
आपको बता दें कि मलाल की जिंदगी संघर्षों से भरी रही हैं। 18 साल की पाकिस्तानी लड़की को तालिबान ने लड़कियों के लिए शिक्षा की वकालत करने पर सिर में गोली मार दी थी। मलाला ने अपनी इस पूरी कहानी को ‘संड टाइम्स’ की पत्रकार क्रिस्टिना लैम्ब के साथ मिलकर किताब का रूप दिया है.
मलाला की इस कहानी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए गठित कंपनी के बैंक खाते में अगस्त 2015 में 22 लाख पाउंड थे और कर चुकाने से पहले उसका कुल लाभ 11 लाख पाउंड था।
‘द टाइम्स’ की खबर के अनुसार, मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन युसुफजई और उसकी मां तूर पेकाई इस कंपनी ‘सालारजई लिमिटेड’ के संयुक्त शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एडगबास्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्ड में पढ़ाई करती है।
मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और वह नोबेल पाने वाली सबसे कम उम्र की सख्शियत है।

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