Use your ← → (arrow) keys to browse
2015 में शुरू की गईं इन सैन्य अदालतों को लेकर पाकिस्तान में काफी विवाद है। इन्हें मिले विवादित विशेषाधिकारों के कारण ये अदालतें ऐसे आम लोगों पर भी मामला चला सकती हैं, जिन पर आतंकवाद से जुड़े होने का शक होता है। ये कोर्ट्स दोषियों और आरोपियों को बुनियादी न्यायिक अधिकार नहीं देते। इनकी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है और जिन लोगों को ये अदालतें दोषी ठहरा देती हैं, उन्हें किसी अन्य अदालत में अपील का भी अधिकार नहीं होता। इन्हीं खामियों के आधार पर इन मिलिट्री कोर्ट्स की काफी आलोचना होती रही है।
Use your ← → (arrow) keys to browse