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अगर वह भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हैं तो क्या सरकार यह मानकर चलेगी कि उसे ट्रंप से जुड़ी परियोजनाओं को जल्द मंजूरी देनी है और उनके पुणे के पार्टनर के खिलाफ जांच रोक देनी है। वहीं अगर वह पाकिस्तान के साथ सख्ती करते हैं तो अमेरिका के सामरिक हितों को नुकसान पहुंचने का डर है। या फिर यह माना जाएगा कि वह भारत को खुश करना चाह रहे हैं ताकि पुणे के ट्रंप टावर से होने वाला उनका मुनाफा सुरक्षित रहे।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के कई नेताओं के डोनाल्ड ट्रंप परिवार से करीबी रिश्ते हैं। दरअसल पुणे और गुड़गांव के रियल एस्टेट में ट्रंप ऑर्गेनाइजेशन का बड़ा निवेश है। अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनने में कामयाब रहते हैं तो विदेश नीति के मामले में देश की विदेश नीति के साथ उनके हितों का टकराव साफ दिखेगा।
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