मालूम हो कि चीन दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है। इस क्षेत्र पर कई देश अपना दावा करते हैं। इसी साल अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने साउथ चाइना सी पर अधिकार को लेकर चीन के खिलाफ फैसला सुनाया था, लेकिन चीन ने यह निर्णय मानने से इनकार कर दिया था। अमेरिका चीन की इस आक्रमकता और उसके दावे को चुनौती देने के लिए यहां समुद्री और हवाई रास्तों पर अपनी उपस्थिति नियमित तौर पर दर्ज कराता रहता है।
अमेरिकी सेना ने बताया कि चीन के साथ सीधे तौर पर हुई बातचीत के बाद चीनी नौसेना अमेरिका का ड्रोन वापस लौटाने के लिए राजी हो गई है। अमेरिकी रक्षा सचिव ऐश कार्टर के प्रवक्ता पीटर कुक ने एक बयान जारी कर बताया कि चीन की इस हरकत पर अमेरिका ने आपत्ति जताई है। अमेरिका ने कहा कि चीन द्वारा उसके ड्रोन को कब्जे में लेना अंतरराष्ट्रीय समुद्रीय कानूनों का उल्लंघन है। अमेरिका ने कहा कि उसका ड्रोन अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में था। उधर चीन की ओर से कहा गया है कि उसने वहां से गुजर रहे जहाजों की सुरक्षा के लिहाज से वह ड्रोन पकड़ा।
चीन के रक्षामंत्री ने शनिवार देर शाम को एक बयान जारी कर कहा कि चीनी नौसेना के एक लाइफबोट को दक्षिणी चीन सागर में एक अज्ञात ड्रोन मिला। वहां से गुजर रहे जहाजों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए चीनी लाइफबोट ने प्रफेशनल और जिम्मेदार रवैया अपनाते हुए उस ड्रोन को अपने कब्जे में ले लिया। बयान में बताया गया है कि जब ड्रोन के अमेरिकी नौसेना का होने की जानकारी मिली, तो चीन ने उसे अमेरिका को वापस लौटाने का फैसला किया। साथ ही, चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह चीन के अधिकार क्षेत्र में सैन्य निगरानी करता है। चीन ने कहा है कि वह अमेरिका की ऐसी हरकतों का कड़ा विरोध करता है। साथ ही, उसने अमेरिका से इस तरह की गतिविधियां खत्म करने की भी अपील की।