मोदी गुजरात के सीएम रहने के दौरान इजरायल की प्रशंसा करते रहे हैं। गुजरात में इजरायली निवेश भी खूब हुआ। हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद से वह इजरायल को लेकर अनिच्छुक दिख रहे हैं। मोदी ने जब सऊदी की यात्रा की तो इसे भारत और इजरायल के बीच बढ़ते संबंधों को संतुलित करने के रूप में देखा गया। भारत और इजरायल के बीच संबंध बिना शोर के गहरा रहता है। इसकी वजह इंटरनैशनल पॉलिटिकल और सोशियो-इकॉनमी है। लेकिन मोदी की इजरायल यात्रा से मुस्लिम देशों की नाराजगी की आशंका है।
सत्ता में आने के बाद से मोदी ने विदेश नीति पर खासा ध्यान दिया। पहले 20 महीनों में पीएम ने 30 देशों का दौरा किया। उन्होंने मंगोलिया जैसे देशों का भी दौरा किया जहां कोई प्रधानमंत्री नहीं गया। मोदी सरकार नहीं चाहती कि इजरायल को लेकर देश के भीतर और मुस्लिम देशों में कोई अफवाह जैसी स्थिति पैदा हो। इसके उलट दोनों देशों के बीच डिफेंस, साइंस, टेक्नॉलजी, हेल्थकेयर, साइबर सिक्यॉरिटी और एजुकेशन के क्षेत्र में काफी गहरे संबंध हैं।
भारत और इजरायल के बीच करोड़ों डॉलर के हथियारों का सौदा होता है। दोनों देशों के बीच मिलिटरी एक्सपोर्ट्स, द्विपक्षीय ट्रेड 4.52 बिलियन का है। इजरायल इंडिया में कई ऐग्रिकल्चर प्रॉजेक्ट पर काम कर रहा है।