वैज्ञानिकों का कहना है कि आंखें ज़ीका वायरस के लिए संग्रह स्थान का काम कर सकती हैं और इस खोज ने इस संभावना को बढ़ाया है कि ज़ीका का संक्रमण आंसुओं के जरिए फैल सकता है। उन्होंने संक्रमित चूहे की आंखों और आंसुओं में इस वायरस का साक्ष्य पाया है। इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है।
भाषा की खबर के अनुसार, ज़ीका वायरस से ज्यादातर वयस्कों में हल्का रोग हो सकता है लेकिन यह भ्रूण में मस्तिष्क को क्षति पहुंचा सकता है और उसकी जान तक ले सकता है। गर्भाशय में जीका से संक्रमित करीब एक तिहाई शिशुओं में आंख का रोग देखा गया, जैसे कि आंखों की नसों में जलन होना, जन्म के बाद रेटिना को नुकसान पहुंचना या दृष्टिहीनता।
ज़ीका से वयस्कों की आंखों का लाल होना और उसमें जलन भी हो सकती है। वाशिंगटन यूनीवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन के प्रोफेसर माइकल एस डायमंड ने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन से पता चला है कि आंखें ज़ीका वायरस के लिए संग्रह स्थान हो सकता है।’’
































































