गुजरात में पिछले दिनों नेतृत्व में बदलाव हुआ और आनंदी बेन पटेल के इस्तीफा देने के बाद विजय रुपाणी को नया मुख्यमंत्री चुना गया। इस दौरान आखिरी क्षणों तक आनंदी बेन को विश्वास था कि नितिन पटेल उनके उत्तराधिकारी बनेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने भी कुछ पत्रकारों को उनके नाम को लेकर पुष्टि कर दी थी। रुपाणी के नाम के एलान के चार घंटे पहले से ही नितिन पटेल के नए सीएम का खबर चारों ओर फैल गई थी। पटेल ने टीवी चैनलों को इंटरव्यू देना भी शुरू कर दिया था। लेकिन पर्दे के पीछे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विजय रुपाणी की पैरवी कर रहे थे। गांधीनगर के पास भाजपा मुख्यालय में कशमकश चलती रही। बात जब नहीं बनी तो भाजपा के महासचिव वी सतीश ने पार्टी दफ्तर के जनरेटर रूम से पीएम नरेंद्र मोदी को फोन किया।
प्रधानमंत्री ने तटस्थ रहने की बात कही। साथ ही कहा कि फैसला राज्य के पार्टी विधायकों और संसदीय बोर्ड को करना है। संसदीय बोर्ड पहले ही अमित शाह को नया सीएम चुनने का अधिकार दे चुका था। वहीं पार्टी के सभी गैर पटेल विधायकों ने पटेल उम्मीदवार के बजाय रुपाणी को चुना। मोदी ने मामले से अपने हाथ पीछे खींचते हुए गुजरात की पूरी जिम्मेदारी अमित शाह पर डाल दी। गुजरात में वर्तमान में भाजपा के लिए हालात ठीक नहीं है लेकिन वहां पर फिर से कमल खिलाने की जिम्मेदारी अब अमित शाह पर होगी। नाराज आनंदीबेन का मानना है कि अमित शाह के दबाव के आगे नरेंद्र मोदी झुक गए।
वहीं आनंदीबेन को पद से हटने की कवायद में पूर्व केंद्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला को बलिदान देना पड़ा। दो महीने पहले हुए कैबिनेट फेरबदल के बाद हेपतुल्ला को अल्पसंख्यक मंत्री के पद पर बने रहने की मंजूरी मिल गर्इ थी। वे पिछले साल 75 की हो गई थी। मोदी सरकार में अनाधिकारिक रूप से मंत्रियों के लिए 75 साल की उम्र सीमा लागू है। लेकिन जब आनंदीबेन ने 75 की उम्र में पद छोड़ने की बात पर सवाल उठाया और पूछा कि पहले किसने ऐसा किया है तो हेपतुल्ला को इस्तीफा देने को कहा गया।