नई दिल्ली। पाकिस्तान की संसद ने एक ऐतिहासिक कदम के तहत उस बहुप्रतीक्षित विधेयक को पारित कर दिया है जो देश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपने विवाह का पंजीकरण कराने में सक्षम बनाता है।
इस कानून को सोमवार(26 सितंबर) को पारित किया गया। इसका मसौदा मानवाधिकार मंत्री कामरान माइकल ने निचले सदन नेशनल एसेंबली में पेश किया था।
द नेशन अखबार की खबर के मुताबिक यह विधेयक हिंदुओं की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल तय करता है। वहीं अन्य धर्मों के नागरिकों के लिए न्यूनतम विवाह उम्र पुरूषों के मामले में 18 साल और लड़कियों के मामले में 16 साल है।
न्यूनतम उम्र सीमा से संबद्ध कानून का उल्लंघन करने पर छह महीने की जेल और 5,000 रूपये का जुर्माना होगा। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की प्रमुख जोहरा युसूफ ने बताया कि विवाह का सबूत हिंदू महिलाओं को अधिक सुरक्षा मुहैया करेगा। विवाह का पंजीकरण होने पर कम से कम उनके कुछ खास अधिकार सुनिश्चित होंगे।
यह कानून हिंदुओं को कुछ परिस्थितियों में तलाक का अधिकार भी देता है। नेशनल एसेंबली ने 10 महीने की चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित किया। गौरतलब है कि पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 1. 6 फीसदी है।