गुरुवार यानि कि 24 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल की बैठक की। जिसमें नोटबंदी की घोषणा के बाद बैन किए गए 500 और 1000 के नोटों के रूप में जमा की गई अघोषित आय पर करीब 60 प्रतिशत टैक्स लगाने पर विचार किया गया। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कैबिनेट ने बैंकों की शून्य खाते वाले जन-धन खातों में 500 और 1,000 रुपये के नोटों पर पाबंदी के दो सप्ताह के भीतर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने की सूचना के बाद यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों को आशंका है कि इन खातों के माध्यम से कालाधन सफेद किया गया है। हालांकि कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को आधिकारिक तौर पर कोई सूचना नहीं दी गई।
सूत्रों ने कहा कि सरकार इस बात को लेकर गंभीर है कि सभी बेहिसाब धन बैंक खातों में जमा हो और उस पर कर लगे। बंद किए गए नोटों को 10 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान बैंक खातों में जमा करने की अनुमति दी गई है। 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से विभिन्न बयान दिए गए हैं। इससे संदिग्ध जमा पर टैक्स अधिकारियों का भय बढ़ा है।
अधिकारियों ने 50 दिन की समयसीमा में निश्चित सीमा से अधिक राशि जमा किए जाने पर 30 पर्सेंट कर के साथ 200 पर्सेंट जुर्माना लगाए जाने की बात कही है। इतना ही नहीं इसके ऊपर कालाधन रखने वालों के खिलाफ अभियोजन भी चलाया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि सरकार की संसद के मौजूदा सत्र में इनकम टैक्स कानून में संशोधन लाने की योजना है ताकि कालाधन पर 45 पर्सेंट से अधिक कर लगाया जा सके। 45 पर्सेंट टैक्स और जुर्माना आय घोषणा योजना के तहत घोषित कालेधन पर लगाया गया। यह योजना 30 सितंबर को समाप्त हो गई।
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