घर नहीं, जेल में रहना पसंद करते हैं इस देश के बुजुर्ग, जानें क्यों

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फाइल फोटो।
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नई दिल्ली। इस देश में हर रोज एक जैसी दिनचर्या। सुबह 6.45 बजे उठना, 20 मिनट बाद नाश्ता करना और ठीक आठ बजे काम पर पहुंचना। यह आम नौकरीपेशा जापानी की दिनचर्या नहीं है, बल्कि जापान के एक बुजुर्ग कैदी की है। इस बुजुर्ग की उम्र 80 साल है और जेल से निकलना नहीं चाहता है।

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उसका कहना है कि मैं नहीं जानता कि यहां से निकलने के बाद कैसी जिंदगी होगी। मैं जेल से निकलने पर अपनी सेहत और वित्तीय स्थिति को लेकर चिंतित हूं। दरअसल, इस तरह का यह विचित्र मामला जापान में इकलौता नहीं है। यहां बुजुर्गो की तेजी से बढ़ती आबादी और देखभाल के अभाव में इस उम्र के कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वे छोटे-मोटे अपराध के जरिए जेल का रास्ता चुनना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं।

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जापानी बुजुर्गों को लगता है कि जेल उनके लिए नर्सिगहोम की तरह है। यहां उनके खाने के साथ देखभाल का प्रबंध हो सकता है। यह स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि जापान सरकार को अप्रैल से देश की 70 जेलों में नर्सिग स्टाफ तैनात करने के लिए एक योजना मंजूर करनी पड़ी है। इसके लिए बजट में पांच लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपये) का आवंटन किया जा रहा है।

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