लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को शनिवार को बनगांव की अदालत ने राष्ट्रद्रोह के मामले में दोषी पाये जाने पर मौत की सजा सुनायी। इनमें दो आतंकी पाकिस्तानी नागरिक बताये जाते हैं। तीनों को आइपीसी की धारा 121 व 121ए के तहत दोषी ठहराया गया था। बीएसएफ ने चार अप्रैल, 2007 को चार संदिग्ध आतंकियों को पश्चिम बंगाल के बांग्लादेश से सटी सीमा पेट्रापोल से गिरफ्तार किया था।
ये तीनों आतंकी संगठन लश्कर-ए-तेईबा के सदस्य हैं। इनके नाम शेख अबदुल्ला, मोहम्मद युनूस व मुजफ्फर अहमद हैं। शेख अबदुल्ला पाकिस्तान के करांची का रहने वाला है जबकि मोहम्मद युनूस पाकिस्तान के ही हरिपुर का निवासी है। तीसरा आतंकी मुजफ्फर अहमद कश्मीर के अनंतनाग का रहने वाला है।
दरअसल तीनों आतंकियों को साल 2007 में बनगांव सीमा से पकड़ा गया था। इन्हें बीएसएफ द्वारा पेट्रोपोल में भारत-बांग्लादेश सीमा से गिरफ्तार किया गया था।
सीआईडी डीआईजी (आपरेशन) निशाद परवेज ने बताया कि पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद यूनुस और अब्दुल्ला तथा एक भारतीय मुजफ्फर अहमद राठौड़ को न्यायधीश बिनय कुमार पाठक की बोनगांव फास्ट ट्रैक अदालत-1 ने मौत की सजा सुनाई। इन तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121 और 122 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
उनकी जम्मू कश्मीर में सेना के शिविरों में हमले की योजना थी लेकिन इससे पहले ही उन्हें बीएसएफ ने गिरफ्तार कर लिया और बानगांव पुलिस स्टेशन को सौंप दिया। लश्करे तैयबा के अन्य आतंकी महाराष्ट्र के शेख अब्दुल्ला नईम उर्फ समीर को भी उनके साथ गिरफ्तार किया गया था लेकिन वह मुंबई ले जाते वक्त 2013 में भाग गया ।
































































