क्या विजय माल्या के पक्ष में है उनकी गिरफ़्तारी

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माल्या
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मुंबई : 9 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेकर विदेश भागने के आरोपी भारतीय कारोबारी विजय माल्या को मंगलवार को लंदन में स्कॉटलैंड यार्ड ने गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, कुछ ही देर में उनको बेल मिल गई। सूत्रों के मुताबिक, स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत की ओर से माल्या के प्रत्यर्पण को लेकर की गई दरख्वास्त पर ऐक्शन लिया। हालांकि, ऐसी आशंका है कि ब्रिटिश पुलिस की ओर से उठाए गए इस कदम का भारत की संभावनाओं पर उलटा ही असर पड़ जाए।

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कानूनी जानकार मानते हैं कि माल्या की गिरफ्तारी और अदालत में पेश होते ही कुछ ही देर में मिली बेल उनके ही पक्ष में ही गई है। इस कानूनी प्रक्रिया के जरिए माल्या ने अपने प्रत्यर्पण को रुकवाने के लिए जमीन तैयार कर ली है। माल्या ने ऐसा करके अपने केस को ब्रिटिश जुडिशल सिस्टम का हिस्सा बना लिया है। अब उनके पास वहां के कानूनों में उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करने का रास्ता खुल गया है। इस लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने का फैसला हो सकेगा।

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कर्नाटक हाई कोर्ट में कार्यरत प्रत्यर्पण से संबंधित कानूनों के जानकार एडवोकेट श्याम सुंदर का कहना है, ‘अब यह लंबे वक्त तक खिंचने वाली प्रक्रिया बन जाएगी और माल्या को वापस लाना आसान नहीं होगा। जिस प्राइमरी कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई हो रही है, उसे प्रत्यर्पण के मामले में सिर्फ एडवाइजरी जुरिडिक्शन है (उच्च न्यायालयों से सलाह ले सकती है या सरकार को सुझाव दे सकती है), जो फैसला नहीं कर सकती। अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद सरकार को सुझाव दे सकती है कि माल्या को प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए कि नहीं? इसके बाद सरकार समीक्षा करेगी, वहीं माल्या के पास निचली अदालत के फैसले को उच्च अदालतों में चुनौती देने का विकल्प होगा।’

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