गर्मियों की छुट्टियां चालू हो गई हैं. अमूमन लोग छुट्टियां बिताने हिल स्टेशन पर जाते हैं. आमतौर पर किसी भी हिल स्टेशन के लिए 20 मई से लेकर 30 जून तक का समय पीक टाइम मान जाता है. क्योंकि इसी दौरान स्कूलों की छुट्टियां होती हैं. किसी भी हिल स्टेशन के कारोबारी पूरे साल इस पीक टाइम का इंतजार करते हैं- भले ही दुकान वाले हों या होटल वाले. और हर साल पीक टाइम में वो अच्छा धंधा करते हैं. लेकिन दार्जिलिंग में इस बार हालात सामान्य नहीं हैं. अपनी खूबसूरत वादियों के लिए देश भर में मशहूर दार्जिलिंग की स्थिति यह है कि टूरिस्ट खोजे से भी नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह है वहां पृथक गोरखालैंड और बांग्ला भाषा के खिलाफ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के आंदोलन ने हिंसक रुख अख्तियार कर लिया है।
दार्जिलिंग में मोंटाना होटल के संचालक ने कोबरापोस्ट से बातचीत में बताया कि ‘इस सीजन में अमूमन 95 फीसदी तक कारोबारी होता था लेकिन इस बार आंदोलन की वजह से 40 फीसदी कारोबारी भी नहीं हो पाया’. उन्होने बताया कि ‘लोग तेजी से ऑनलाइन बुकिंग को कैंसल करा रहे हैं.’ उन्होने कहा कि ‘आंदोलन की वजह से दार्जिलिंग के होटल कारोबारियों में गहरी हताशा का माहौल है’
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दार्जिलिंग में इस वक्त टूरिजम के कारोबार की क्या हालत है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मोंटाना होटल 70 कमरों में से सिर्फ़ 4 कमरों में ही टूरिस्ट हैं, बाकी के कमरे खाली पड़े हैं.

होटल संचालक से जब हमने पूछा कि क्या वहां टूरिस्ट भी फंसे हुए हैं, तो उन्होने सुकून की सांस लेते हुए कहा कि ‘नहीं’. उन्होने बताया कि ‘हालात खराब होते ही दार्जिलिंग के स्कूल वालों ने टूरिस्ट की काफ़ी मदद की. स्कूल वालों ने अपने बसों से टूरिस्ट्स को दार्जिलिंग से बाहर निकलने में मदद की’.