नई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियां गोलबंदी में जुट गई हैं। बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए ने भी अपनी कोशिशें शुरू कर दी हैं। नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सीपीएम जनरल सेक्रटरी सीताराम येचुरी और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं से फोन पर संपर्क किया। नायडू के इस फोन के बाद एकजुट विपक्षी पार्टियों की बुधवार को ही हुई मीटिंग बेनतीजा खत्म हुई। हालांकि, पार्टी नेताओं में कुछ मतभेद भी देखने को मिले। जहां अधिकतर नेता बीजेपी की ओर से कैंडिडेट तय करने के पक्ष में थे, वहीं कुछ किसी एकराय के उलट चुनाव में जाने के मूड में नजर आए। एक स्थिति ऐसी आई जब कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी में बहस भी हुई। वहीं, एनसीपी और टीएमसी जैसी पार्टियों ने भी बैठक में अपनी ‘मजबूरियां’ गिनाईं।
आपको बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रपति कैंडिडेट पर विपक्षी नेताओं से एकराय बनाने के लिए एक कमिटी बनाई है, जिसके सदस्य केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, राजनाथ सिंह और नायडू हैं। कमिटी के सदस्य शुक्रवार को सोनिया गांधी से मिलने वाले हैं। कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है कि चूंकि बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए तीन सदस्यों की टीम बनाई है, लिहाजा प्रधानमंत्री के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के लिए गांधी को भी अपना प्रतिनिधि नियुक्त करना चाहिए। यहां यह भी बताना जरूरी है कि अटल बिहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर खुद सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। हालांकि, दूसरी तरफ कुछ पार्टी नेता यूपीए-2 के शासनकाल को याद करते हैं, जब सत्ता पक्ष प्रणव मुखर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने के बाद विपक्ष से मिलने पहुंचा था।
अगले पेज पर पढ़िए- क्या हुआ विपक्ष की बैठक में