जयपुर में पुरुष आयोग की मांग को लेकर धरने पर बैठे पति

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जयपुर शहर में 50 लोगों का एक ग्रुप राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की तरह ही पुरुषों के लिए राष्ट्रीय पुरुष आयोग के गठन की मांग को लेकर ‘सेव इंडियन फैमिलिज’ के बैनर तले धरना दे रहा है। धरना, दहेज उत्पीड़न के लिए धारा 498-A और घरेलू हिंसा जैसे केसों के दुरुपयोग के खिलाफ दिया जा रहा है। धरना देने वाले लोगों का कहना है कि झूठे केसों के कारण उन्हें वित्तीय समस्याओं का सामना करने के साथ-साथ बेवजह कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

धरना देने वालों में 29 साल के सॉफ्टवेयर इंजिनियर शिशि को कथित रूप से अपनी नौकरी सिर्फ इसलिए खोनी पड़ी क्योंकि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के केस कर दिया था। शिशि ने कहा, ‘मेरी पत्नी ने मेरे भाई और माता-पिता को दहेज के झूठे केस में फंसा दिया। मैं दिमागी तौर पर दबाव महसूस कर रहा हूं। कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो हमारी उचित सुनवाई कर सके।’ इसी तरह के मामले में पीड़ित झुंझुनू के डॉ. अनिल राव ने कहा, ‘आज के भारतीय कानून पूरी तरह से महिलाओं के पक्ष में हैं। किसी पुरुष का रेप होने पर उसे न्याय दिलाने के लिए आईपीसी की कोई भी धारा नहीं है। वहीं महिलाएं झूठे केस में हमारे माता-पिता को फंसा देतीं हैं।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए कुछ कानून होने चाहिए लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पुरुष उनके कारण प्रताड़ित हों। पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं लेकिन ऐसा कोई भी कानून नहीं है जिससे वे खुद का बचाव कर सकें।

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पीड़ित राजेश (बदला नाम) ने कहा, ‘मेरी पत्नी रोज मुझे मारती थी। इसके लिए मैंने उसे तलाक दिया तो उसने मुझ पर ही घरेलू हिंसा का आरोप लगाकर जेल भेज दिया। उसने मेरे 67 साल के पिता पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर भरण-पोषण की मांग की है।’ धरने में 50 साल की उम्र के पुरुष भी शामिल हुए। उनका कहना है कि वे ऐसा केस दशकों से लड़ रहें हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति अजय ने कहा, ’20 साल पहले मेरी पत्नी मुझे और मेरे 2 बच्चों को छोड़कर चली गई। मेरी एक छोटी सी दुकान है। मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं केस के लिए वकील को पैसे दे सकूं। मैंने मेरा घर बेच दिया है और मेरे बेटों को पढ़ा नहीं पाउंगा।’

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