जिस तरह से पूरे देश में दहेज को लेकर कई सारे मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें रोकने के लिए महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड ने एक ठोस कदम उठाते हुए 12वीं कक्षा की समाजशाष्त्र की किताब से महिलाओं की ‘बदसूरती’ को ज्यादा दहेज मांगने की एक वजह बताने वाले हिस्से को हटा दिया है। शिक्षाविदों का कहना है कि टेक्स्ट बुक्स में इस तरह के कॉन्टेंट से स्टूडेंट्स को सोशल प्रॉब्लम के बारे में जागरूक करने का कोई तरीका नहीं है।
‘भारत में मुख्य समाजिक समस्याएं’ नाम के एक चैप्टर में लिखा गया है,’अगर एक लड़की बदसूरत और विकलांग है तो उसकी शादी होना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी लड़कियों से शादी करने के लिए वर पक्ष और भी ज्यादा दहेज की मांग रखता है। ऐसी लड़कियों के माता-पिता लाचार हो जाते हैं और लड़के वालों की मांग के अनुरूप दहेज देकर शादी करते हैं। इस तरह दहेज प्रथा बढ़ती है।’
बता दें कि चैप्टर में यह बात बताई गई है कि किस तरह एक कुलीन विवाह(जिसमें उच्च जाति का लड़का, नीची जाति की लड़की से शादी करता है) में भी दहेज की मांग बढ़ जाती है।
इसी साल फरवरी 2017 में 12वीं की टेक्स्टबुक का यह हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। मुंबई मिरर की एक खबर के अनुसार लोगों की आलोचनाओं से घिरी राज्य सरकार ने अप्रैल में संबद्ध स्कूलों को एक अधिसूचना जारी कर दी कि इस पैराग्राफ को पाठ्यपुस्तक के पुनमुद्रित संस्करणों से हटा दिया जाये।
महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड के सेक्रटरी कृष्णकुमार पाटिल ने कहा,’जो किताबें पहले से ही छप चुकी हैं, हमने डिविजनल बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि उस हिस्से को रद्द कर दें। हमने राज्य बोर्ड पाठ्यपुस्तक प्रकाशन ब्यूरो ‘बालभारती’ को भी इन पंक्तियों को हटाने के निर्देश दे दिए हैं।’