नक्सल प्रभावित इलाकों में सेवाए देने के लिए चुना गया था
आज 100 करोड़ की कंपनी के मालिक बनने के बाद अजय बताते हैं ज्यादा खुशी उस दिन मिली जब उन्हें छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित एरिया में सेवाएं देने के लिए चुना गया। 8-8 घंटे दफ्तरों के बाहर बारी का इंतजार किया। कई बार हमारी फाइल रिजेक्ट हुई। छत्तीसगढ़ में भारतीय पायलट यह कहकर छोड़ गया कि जान नहीं देनी। फिर ऑस्ट्रेलिया के आर्मी से रिटायर्ड कैप्टन ने जिम्मा संभाला। अजयवीर बताते हैं कि अब तो संवेदनशील एरिया में सर्च के लिए सीआरपीएफ भी सेवाएं लेती है। आरबीआई के कुछ ऑपरेशन में उनकी कंपनी हायर की जा चुकी है। 2012 में नॉर्थ इंडिया में 15000 किलोमीटर एरिया में जापान की कंपनी से मिलकर हाइटेंशन वायर में गड़बड़ी ढूंढ़ने का सर्वे भी बखूबी कर चुके हैं।
परिवार के बारे में अजय कहते हैं कि वह सदा अनुशासनहीन रहे हैं। शादी के बाद वाइफ जिनिया सिंह ने संभाला। वह न होती तो काम पर फोकस न कर पाते। उनकी दो बेटियां हैं- 7 साल की बाणी सुखअमृत कौर और 4 साल की अमरीन अमृत कौर। पिता इकबाल सिंह लालपुरा पुलिस में रहे हैं। मम्मी हरदीप कौर हाउस वाइफ है। वह फैमिली के साथ दिल्ली में रहते हैं पर महीने में गांव जरूर आते हैं।