आर्मी कैंटीन (CSD) ने पतंजलि आंवला जूस की बिक्री पर लगाई रोक

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कोलकाता की रेफरल गवर्नमेंट लैबरेटरी वही प्रयोगशाला है, जिसने दो साल पहले घोषणा की थी कि उसने नेस्ले मैगी नूडल्स के सैंपल्स में लेड की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई और उन सैंपल्स में एमएसजी की मौजूदगी भी थी। यह मुद्दा इतना गरम हुआ था कि नेस्ले के पूरे भारत में मैगी ब्रैंड को वापस लेना पड़ा था। कंपनी ने फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के आदेश की न्यायिक समीक्षा के लिए कानूनी याचिका दायर की थी।

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कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट के रिटेल आउटलेट्स में बिस्किट्स से लेकर बीयर, शैंपू और कार तक 5300 प्रॉडक्ट्स करीब 1.2 करोड़ उपभोक्ताओं को बेचे जाते हैं। इन उपभोक्ताओं में आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के लोग और उनके परिवारों के अलावा एक्स-सर्विसमेन और उनके परिवार शामिल हैं। सीएसडी की शुरुआत 1948 में की गई थी। इसका मैनेजमेंट रक्षा मंत्रालय करता है। इसके तहत 3901 कैंटीन और 34 डिपो हैं। ज्यादातर कन्ज्यूमर प्रॉडक्ट कंपनियों के लिए सीएसडी के जरिए होने वाली बिक्री उनकी टोटल वॉल्यूम सेल्स का 5-7 पर्सेंट है।

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यह पहला मौका नहीं है, जब पतंजलि आयुर्वेद अपने दावों को लेकर रेग्युलेटर्स के साथ विवादों में घिरी है। इससे पहले बिना लाइसेंस के नूडल्स और पास्ता बेचने के लिए उसकी खिंचाई की गई थी। पिछले साल एफएसएसएआई ने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह पतंजलि को उसके खाद्य तेल ब्रैंड के विज्ञापन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी करे। उस विज्ञापन पर गुमराह करने वाली जानकारी देने का आरोप लगा था।

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