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अमृत्य सेन ने कहा कि यह सामान्य तौर पर छह फीसदी के आसपास होता है, लेकिन किसी भी सूरत में दस फीसदी से ज्यादा नहीं होता और भारतीय अर्थव्यवस्था को बाधित करने के लिहाज़ से काफी बड़ा है। प्रधानमंत्री के इस कदम के अन्य आलोचकों की ही तरह डॉ अमर्त्य सेन ने भी कहा कि वह कदम उठाने के पीछे के इरादे का समर्थन करते हैं, लेकिन इसे उठाने और लागू करने में रही कमियों को लेकर आलोचना करते हैं।
एनसीपी नेता डीपी त्रिपाठी ने एक अख़बार से बातचीत में कहा कि वर्तमान राजग सरकार के पहले मोराराजी देसाई सरकार ने भारत में पहली बार विमुद्रीकरण किया था। लेकिन उस वक्त इतनी परेशानी इसलिए नहीं हुई थी क्योंकि सरकार ने सिर्फ एक फीसद मुद्रा को चलन से बाहर किया था। लेकिन इस बार रातोंरात 86 फीसद मुद्रा को चलन से बाहर कर राजग सरकार ने हाहाकार के हालात पैदा कर दिए।
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