नई दिल्ली। सरकार ने केजी बेसिन अपतटीय क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी के तेल ब्लॉक से प्राकृतिक गैस निकालने पर रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके भागीदारों बीपी और नीको से 1.55 अरब डालर का मुआवजा मांगा है।
मंत्रालय द्वारा भेजे गये मांग पत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) सहित तीनों भागीदारों से 1.47 अरब डालर का मुआवजा मांगा है। यह मुआवजा ओएनजीसी के तेल क्षेत्र से मार्च 2016 तक सात साल की अवधि में 33.83 करोड़ ब्रिटिश थर्मल यूनिट गैस का उत्पादन करने के लिये मांगा गया है।
उत्पादित गैस पर 7.17 करोड़ डालर रॉयल्टी भुगतान को कम करने और शेष राशि पर लिबॉर के ऊपर दो प्रतिशत दर से ब्याज जोड़ने के बाद रिलायंस और उसके भागीदारों से कुल 1.55 अरब डालर मुआवजे की मांग की गई है।
गौरतलब है कि न्यायाधीश एपी शाह समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने आंध्र प्रदेश तट के समीप बंगाल की खाड़ी में कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन के अपने ब्लाक से सटे ओएनजीसी ब्लॉक से प्राकृतिक गैस निकालती रही है और इसके लिए उसे सरकार को भुगतान करना चाहिए।
शाह समिति की राय में मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ओएनजीसी के क्षेत्र से गैस अपने ब्लाक में बहकर या खिसक कर आई गैस के दोहन के लिए उसे सरकार को भुगतान करना चाहिए।
हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्री ने कहा है कि उसने जिन कुओं में भी खुदाई की है और उत्पादन किया वह सभी उसके केजी डी6 ब्लॉक के दायरे में ही थे और सरकार की अनुमति के बाद ही उसने इनमें खुदाई और खोज के बाद उत्पादन शुरू किया।