देश की दो बड़ी सरकारी टेलीकॉम कंपनी MTNL (महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड ) और BSNL (भारत संचार निगम लिमिटेड ) का विलय दोनों कंपनियों के लिए बेहद जरूरी है। MTNL के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पी के पुरवार ने बताया कि बेहद प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार में अखिल भारतीय स्तर पर मजबूत मौजूदगी के लिए ऐसा विलय जरूरी है।पुरवार ने कहा कि उद्योग का एकीकरण हो रहा है। यह बीएसएनएल और एमटीएनएल का मुद्दा नहीं है। किसी ऑपरेटर के लिए भारत में सफल होने को अखिल भारतीय स्तर पर परिचालन जरूरी है। उन्होंने कहा कि बीएसएनएल-एमटीएनएल का विलय एक वांछित स्थिति है।
आपको बता दें कि MTNL दिल्ली और मुंबई में सेवाएं देती है। वहीं भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) देश के अन्य हिस्सों में परिचालन है। संसद की एक समिति ने बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय का सुझाव दिया था। समिति के मुताबिक, इन कंपनियों की दीर्घकालिक सफलता के लिए विलय एक अच्छा प्रस्ताव हो सकता है। इसका सीधा मतलब ये है कि अगर इन दोनों कंपनियों का विलय होता है, तो एमटीएनएल खत्म होकर सिर्फ बीएसएनएल रह जाएगी।
समिति ने अपने सुझाव में कहा कि अगर दोनों कपनी एक दूसरे के साथ विलय कर लेती हैं, तो दोनों मार्किट में मौजूद बड़ी कंपनियों के साथ मुकाबला कर पाएंगी। साथ ही इनकी सर्विसेस में भी सुधार हो जाएगा। इसके अलावा यह भी सुझाव दिया गया है कि अगर ये मर्जर न भी करना चाहें, तो टेक्नोलॉजिक एडवांसमेंट और नेटवर्क इम्प्रूवमेंट करने के साथ इन कंपनियों को वन-टाइम फंड मुहैया कराया जाए, जिससे इनकी सर्विसेस में सुधार आ सके।
हालांकि, दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा कि फिलहाल बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।
MTNL के चेयरमैन ने दिया Idea औरै वोडाफोन का उदाहरण
पुरवार ने एयरटेल-टेलीनॉर, आरकॉम-एयरसेल तथा वोडाफोन-आइडिया सेल्युलर के विलय का उदाहरण देते हुए कहा कि अब छोटे ऑपरेटरों के दिन लद गए हैं। आपकी उपस्थिति अखिल भारतीय स्तर की होनी चाहिए। पुरवार का मानना है कि दोनों सरकारी दूरसंचार कंपनियों के बीच परिचालन तालमेल तथा विलय उनकी पूर्ण क्षमता के दोहन के लिए जरूरी है।
सरकार का फिलहाल विलय करने का नहीं है कोई प्रस्ताव
दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा कि फिलहाल बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।