कुछ लोगों का मानना है कि सख्त फैसले वे कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ही लेने लगे थे। मार्च में टाटा समूह ने कहा कि वह ब्रिटेन में टाटा स्टील के प्लांट बंद करेगा। इसके अलावा यूरोप में स्टील कारोबार में पुनर्गठन करने के रास्ते तलाशे जाने लगे। टाटा के फैसले से कर्मचारियों और ब्रिटिश सरकार को चिंता होने लगी। ब्रिटेन में टाटा को स्टील कारोबार से रोजाना करीब दस लाख डॉलर का नुकसान हो रहा है। मिस्त्री की नीति के तहत ही टाटा केमिकल्स ने यूरिया कारोबार बेच दिया। इंडियन होटल्स ने भी विदेश में अपनी रणनीति बदल दी। इस कंपनी ने होटल खरीदने के बजाय उनका प्रबंधन संभालने पर फोकस कर लिया। अगस्त 2016 में टाटा मोटर्स के शेयरधारकों ने जब महज 20 पैसे प्रति शेयर लाभांश देने पर शिकायत की तो उनका कहना था कि हमने यह पूंजी पिछले साल ही जुटाई है। हमें यह पूंजी नए उत्पादों में लगानी है। कंपनी दीर्घकालिक नजरिये पर काम कर रही है। थोड़े समय में ज्यादा लाभांश देकर समस्या पैदा करने का कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने टाटा टी, इंडियन होटल्स कंपनी और टाटा मोटर्स जैसी तमाम कंपनियों की सालाना आम बैठकों में इसी तरह के सख्त संकेत दिये थे।