पढ़िए -कैसे PM मोदी के सपनों को चूर कर रहा है रिलायंस का ‘फ्री-जियो’

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मुफ्त डेटा की पेशकश से मौजूदा दूरसंचार कंपनियों को सांसत में डालने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने उन पर और दबाव बढ़ा दिया है। रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों के लिए जो पेशकश की हैं उनसे भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर की कारोबारी मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं।

अब देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने टेलीनॉर को खरीदने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि इस मर्जर से ही इन कंपनियों में काम कर रहे 15 से 20 प्रतिशत लोगों का रोजगार संकट में पड़ने की संभावना है। इसके अतिरिक्त  कुमार मंगलम बिड़ला की आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन पीएलसी के बीच मर्जर की बात चल रही है।

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इस सेक्टर के जानकारों की माने तो आने वाले समय में इस सेक्टर में काम कर रहे 10,000-25,000 लोगों की नौकरियों पर तलवार लटक रही है। भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 3 लाख लोगों का रोजगार टिक हुआ है। टेलीकॉम सेक्टर के जानकारों का कहना है कि कंसॉलिडेशन के बाद अगले डेढ़ साल में एक-तिहाई लोगों की जरूरत नहीं रह जाएगी।

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कंपनियों के डेटा के मुताबिक आइडिया, वोडाफोन, आरकॉम और एयरसेल में 48,000 लोग काम करते हैं। बिजनस में कमी के बावजूद टाटा टेलिकॉम में 7,000 लोग काम कर रहे हैं। वहीँ जियो के आने के बाद टेलीकॉम कंपनियों के घाटे का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि रिलायंस जियो के आने के बाद देश की टेलीकॉम कंपनी आईडिया सेलुलर को वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में 385.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

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गौरतलब है कि एक तरफ जहां टेलीकॉम कमीशन ने TRAI को नोटिस जारी कर कहा है कि जियो के कारण केंद्र सरकार को ही 658 करोड़ का चूना लग गया वहीँ रिलायंस जियो ने बाकी तमाम टेलीकॉम कंपनियों को एक दूसरे में विलय करने को मजबूर कर दिया है। बिज़नस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट की माने तो जिस तरह तमाम टेलीकॉम कंपनियों का आपसी विलय हो रहा है उससे टेलीकॉम सेक्टर की 20 से 40 फीसदी नौकरियां के ख़त्म होने का संकट आ खड़ा हुआ है।

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