बॉलीवुड स्टार्स करीना कपूर और सैफ अली खान मंगलवार को एक बेटे के माता-पिता बन गए। लेकिन जैसे ही खान परिवार ने बेटे का नाम तैमूर अली खान पटौदी घोषित किया तो सोशल मीडिया पर आलेचना का दौर शुरू हो गया। बॉलीविड के इस बड़े घराने में जैसे ही इस नन्हे मेहमान के कदम पड़े, तैमूर से जुड़ी हर खबर सुर्खियां बटोरने लगीं। तैमूर को लेकर पहले ही लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि ये पटौदी सलतनत का वारिस है और 5000 करोड़ की संपत्ति का वारिस भी। लेकिन तैमूर को अपने पिता की 5000 करोड़ की संपत्ति मिल पाना बेहद मुश्किल है।
इसी सिलसिले में एक खबर यह भी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शत्रु संपत्ति संबंधी अध्यादेश को पांचवी बार जारी कर दिया है जिसके चलते सैफ अली खान-करीना का बेटा तैमूर अली खान पटौदी पिता सैफ की 5000 करोड़ की संपत्ति का वारिस नहीं बन पाएगा। इस अध्यादेश की वजह से भोपाल के आखिरी नवाब और सैफ के परदादा हमीदुल्ला खान की पूरी चल-अचल जायदाद पर सरकार का स्वामित्व हो जाएगा।
क्या है शत्रु संपत्ति, क्यों तैमूर पर लागू हुआ ये नियम ?
“शत्रु संपत्ति” ऐसी कोई भी संपत्ति है जो किसी शत्रु या शत्रु कंपनी की है या उसके द्वारा संपत्ति का प्रबंधन किया जा रहा है। सरकार ने इन संपत्तियों को केंद्र सरकार के तहत स्थापित भारत के शस्त्रु संपत्ति के कस्टोडियन के कब्जे में सौंप रखा हैं। भारत पाकिस्तान के बीच 1965 में हुये युद्ध के बाद 1968 में शत्रु संपत्ति कानून बनाया गया था।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूत्रों ने बताया कि चूंकि नोटबंदी के मसले पर बार बार संसद की कार्यवाही स्थगित होने की वजह से इससे संबंधित विधेयक पारित नहीं किया जा सका, इसलिए इस अध्यादेश को फिर से जारी करने की आवश्यकता हुई।
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