नई दिल्ली। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) या सेंसर बोर्ड के साथ कई बार टकराव के लिए चर्चाओं में रहे प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक हंसल मेहता ने फिल्म जगत से सेंसरशिप के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है।
‘शाहिद’ और ‘अलीगढ़’ जैसी फिल्मों के 48 साल के निर्देशक ने कहा कि फिल्म जगत के लोगों को केवल अपनी खुद की फिल्मों के लिए लड़ने के अलावा एक दूसरे के साथ भी खड़ा होना चाहिए।
मेहता ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘हम सेंसरशिप से तब ही लड़ते हैं जब हमारी अपनी फिल्म इससे प्रभावित होती है। उस लड़ाई और काफी बयानबाजी के बाद कुछ भी नहीं बदलता। वही नियम कायदे, वही बोर्ड बना रहता है।’’ उन्होंने सेंसरशिप की बजाए प्रमाणन की जरूरत पर जोर दिया।
We fight censorship only when it affects our own film. After that fight and a lot of rhetoric nothing changes. Same rules, same board.
— Hansal Mehta (@mehtahansal) September 13, 2016
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने कहा कि ‘‘सेंसरशिप की बजाए प्रमाणन जरूरी है और निर्माताओं, तकनीशियनों एवं कलाकारों के इतने सारे संघ तथा संगठन इसे लेकर असर नहीं डाल पा रहे।’’
‘अलीगढ़’ की रिलीज के दौरान सेंसर बोर्ड के साथ विवाद को लेकर चर्चा में रहे मेहता फिल्म के टेलीविजन प्रीमियर में ‘‘समलैंगिक’’ शब्द हटाने से नाराज हैं। मनोज वाजपेयी और राजकुमार राव अभिनीत फिल्म एक समलैंगिक प्रोफेसर की कहानी है जो आत्महत्या कर लेता है।
मेहता ने टीवी पर फिल्म दिखाए जाने के बाद ट्वीट किया कि ‘‘जो ‘अलीगढ़’ आपने कल रात टीवी पर देखी उस फिल्म में ‘समलैंगिक’ शब्द म्यूट कर दिया गया और यू.ए प्रमाणपत्र के लिए कुछ शॉट काट दिए गए। हां, यह दुखद है।’’
































































