18 अगस्त 1934 को प्रतिष्ठित गीतकार, कवि और निर्देशक संपूरण सिंह कालरा यानी गुलजार का जन्म एक सिख परिवार में झेलम जिले के दीना में पकिस्तान में हुआ था। उनके पिता का नाम मक्खन सिंह कालरा और माता का नाम सुजन कौर है। ज़िंदगी के एहसास को नज़्मों में जो पिरोए उसे गुलज़ार कहते हैं। जिसकी ग़ज़ल पढ़ कर लगे कि ज़िंदगी झांक रही है तो उसे गुलज़ार कहते हैं। जो लेखन, निर्देशन, गीत, ग़ज़ल, नज़्म और संवाद लेखन जैसे कई कलाओं में गुलज़ार हो उसे गुलज़ार कहते हैं। रूमानी रोमान्स और रुहानी रोमान्स में फ़र्क़ बताने वाले को गुलज़ार कहते हैं।
आंखों पर काले फ्रेम का चश्मा और शरीर पर सफ़ेद कुर्ता पहने जब वह चलते हैं तो लगता है जैसे कोई मुक्कमल नज़्म चल रही हो। साधारण बात भी जब उनकी ज़ुबां से निकलती है तो लगता है उनकी ज़िदगी शायरी में डूबी है। वह ज़िदगी के किसी भी पहलू को लिखें उसमें से ख़ुशबू आती है।