तुषार कपूर से पहले शाहरुख खान-गौरी खान, आमिर खान-किरण राव खान और सोहैल खान-सीमा सचदेवा खान भी सरोगेसी से माता-पिता बन चुके हैं। सुषमा स्वराज ने शायद इसी ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए कहा था, “जो सुविधा के लिए शुरू किया गया था वो विलासिता बन गया…बड़े सेलेब्रिटी जिनकी पहले से ही एक या दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी हैं वो भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं…” भले ही उस समय सुषमा के बयान की कुछ लोगों ने तीखी आलोचना की हो लेकिन कई समाजसेवी सरोगेसी के गलत इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।
सरोगेसी में एक स्त्री और पुरुष के शुक्राणु और अण्डाणु को किसी तीसरी महिला (सरोगेट माता) के गर्भ में प्रत्योरिपत कर दिया जाता है। बच्चे का भ्रूण सरोगेट माता के गर्भ में ही विकसित होता है। बच्चे के जन्म के बाद उसके माता-पिता को बच्चा सौंप दिया जाता है। पिछले कुछ सालों में भारत सरोगेसी के बड़े बाजार के रूप में तेजी से उभरा है। जहां एक तरफ सरोगेसी से माता-पिता बनने वाले दंपतियों की संख्या बढ़ी है वहीं दूसरी तरफ इसके दुरुपयोग की शिकायतें भी बढ़ी हैं। सरोगेसी को लेकर तब विवाद हो गया था जब वित्त मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में कह दिया था कि फिल्म स्टार की बीवियां दर्द से बचने के लिए सरोगेसी का सहारा लेती हैं।