हिंदी फ़िल्मों ने सुपर स्टार तो बहुत दिए, लेकिन जो स्टारडम राजेश खन्ना का था वो ना तो उनसे पहले किसी के पास था और नही उनके बाद किसी दूसरे सुपर स्टार को मिला।जब राजेश खन्ना, सुपर स्टार नहीं बने थे तब भी वो उतने ही खुशगंवार और रोमांटिक थे जितने स्टार बनने के बाद । कहते हैं कि खुशकिस्मत होते हैं वो जो मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं । राजेश खन्ना के साथ भी यहीं था।
राजेश खन्ना को हिट कराने में जितना रोल उनकी एक्टिंग, उनकी ताजगी और उनके हाव भाव का था उतना ही रोल था गानों का। एक समय था जब किशोर कुमार की आवाज़ राजेश खन्ना का चेहरा बन गइ थी, और ये जोड़ी गारंटी थी फ़िल्म के हिट होने की। ‘मेरे नैना सावन भादो’, ‘ये जो मुहब्बत है’, ‘ये शाम मस्तानी’, ‘चिंगारी कोई भड़के’ ,’दिए जलते हैं’ -ये वो गाने हैं जिन्होने राजेश खन्ना को सुपर स्टार बना दिया। इन सभी गानों की एक ही खासियत थी। ये सभी गाने राजेश खन्ना पर तो फ़िल्माए ही गए थे, इन्हे गाया किशोर कुमार ने था। फ़िल्म इंड्स्ट्री में राजेश खन्ना, किशोर कुमार और पंचम दा यानी आरडी बर्मन की तिगड़ी एक समय इतनी हिट थी, सिर्फ़ इस तिगड़ी के नाम पर कोई भी प्रोड्यूसर फ़िल्म में पैसा लगाने के लिए तैयार था। बिना ये जाने कि फ़िल्म की कहानी क्या है, और फ़िल्म की हिरोइन कौन है।
राजेश खन्ना और किशोर कुमार की जोड़ी पहली बार फ़िल्म आराधना में दिखी थी।1969 में आई इस फ़िल्म का संगीत संगीत एसडी बर्मन ने तैयार किया था।लेकिन कहते है कि इस फ़िल्म का म्यूजिक कंपोज करते समय एसडी बर्मन साहब काफ़ी बीमार थे। इसलिये इस फ़िल्म का आधा से अधिक संगीत पंचम दा यानि राहुल देव बर्मन ने तैयार किया । राजेश खन्ना, किशोर कुमार और आरडी बर्मन की तिगड़ी का आगाज हुआ 1971 में आई फ़िल्म कटी पतंग से। इस फ़िल्म में पहली बार इस तिगड़ी ने अपने मौजूदगी से धूम मचाई। और धूम भी ऐसी मचाई कि इस फ़िल्म का संगीत आज भी उतना ही ताज़ा है जितना फ़िल्म की रिलीज होने के समय था।
28 जनवरी 1972 को एक बार फ़िर से राजेश खन्ना राहुल देव और किशोर कुमार के कंबिनेशन की धूम मच गई, जब हिंदी की माइल स्टोन फ़िल्म अमर प्रेम रिलीज हुई। इसके करीब आठ महीनों बाद यानि 22 सितंबर 1972 को एक बार से इस तिगड़ी ने धूम मचाई फ़िल्म मेरे जीवन साथी से। इस फ़िल्म के लिए कंपोज किए गए आरडी के सभी गाने, और राजेश खन्ना के लिए गाए हुए किशोर के सभी गाने हिट हुए। 1973 में फ़िल्म नमक हराम और 1974 में फ़िल्म आप की कसम में एक बार से ये जोड़ी हिट रही। राजेश खन्ना, राहुल देव बर्मन और किशोर कुमार का जादू करीब एक दशक तक इंडस्ट्री पर हॉवी रहा। इस दौरान 1974 में अजनबी, 1976 में महबूबा, और 1977 करम जैसी फ़िल्में एक बार फ़िर से म्यूजिकल हिट हुई
लेकिन 1977 में इंड्स्ट्री में एक बार फ़िर से बदलाव का दौर शुरू हुआ। इंड्स्ट्री में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे नौजवान और नई सोच वाले संगीतकार उभरने लगे, और राजेश खन्ना, आरडी और किशोर कुमार की तिगड़ी फ़्लॉप होने लगी।1977 में फ़िल्म चलता पुर्जा, 1978 में फ़िल्म भोला भाला, 1978 में फ़िल्म नौकरी, 1980 में फ़िल्म फ़िर वहीं रात, रेड रोज और आंचल जैसी फ़िल्मों का म्यूजिक फ़्लॉप हुआ। लेकिन 1981 में आई फ़िल्म कुदरत के संगीत ने एक बार फ़िर से पूरे हिन्दुस्तान का दिल जीत लिया।
किशोर कुमार ने लंबे समय तक राजेश खन्ना के लिए आवाज़ दी।इस दौरान इस जोड़ी ने दर्जनों हिट फ़िल्मे और सैकड़ों हिट गाने दिए।राजेश खन्ना के लिए किशोर कुमार ने आखिरी बार फ़िल्म नजराना के लिए गाया।ये 6 फ़रवरी फ़िल्म 1987 में आई थी, और इसी साल अक्टूबर में किशोर कुमार की मौत हो गई थी।
राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की जोड़ी
1969 के करीब राजेश खन्ना जब इंड्स्ट्री में अपने पैर जामाने की ज़द्दोज़हद कर रहे थे, तब काका के हाथ लगी शक्ती सामंत की फिल्म अराधना। यही वो फिल्म थी जब काका ने पहली बार शर्मीला टैगोर के साथ काम किया।1969 में 28 अक्टूबर को जब 70 एमएम के पर्दे पर राजेश खन्ना और शर्मिला की जोड़ी को पहली बार दर्शको ने देखा तो पूरा सिनेमा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। फिल्म के हर सीन हर गाने में लोगो की सीटियां बजी।
राजेश खन्ना चूकी इंड्स्ट्री में नए थे और जब शक्ती सामंत ने शर्मिला जी को ये बात बताई कि उनके साथ एक नया लड़का फिल्म में काम करने वाला है तो पहले शर्मिला टौगोर भड़क गई। काफ़ी मान मनौव्वल के बाद जाकर ये जोड़ी हमे अराधना में दिखी। और पूरी फिल्म ने ऐसा कमाल दिखाया की दर्शक राजेश और शर्मिला की जोड़ी के दिवाने हो गएं। फिल्म आराधना में शर्मिला का बात बात पर शर्माना और राजेश खन्ना का अपने ही अंदाज़ में इजहारे मुहब्बत बयां करना उस दौर में मानो हर नौजवान के दिला में घर कर गया था।अराधना के साथ केवल राजेश और शर्मिला की जोड़ी ही हिट नहीं हुई थी बल्की इस फिल्म का एक एक गाना हिट हुआ था और हिट हुई एक तिकड़ी और वो तिकड़ी थी राजेश किशोर और आर डी की। फिल्म अराधना केवल हिट नही बल्की ब्लॉक बस्टर साबित हुई। इस फिल्म के बाद तो मानो हर डायरेक्टर की पहली पसंद बन गई ये जोड़ी।राजेश खन्ना और शर्मिला का किसी फिल्म में होने का मतलब था फिल्म का ब्लॉक बस्टर होना। आराधना के बाद ये जोड़ी एक बार फिर देखने को मिली 1951 में असीत सेन के निर्देशन में बनी फिल्म सफर में। इस फिल्म ने दर्शकों को केवल इस जन्म में ही प्यार का पाठ नहीं पढ़ाया बल्की जनम जनम के प्यार का एहसास कराया।
फिल्म सफर के रिलीज़ के बाद दर्शक काका और शर्मिला टैगोर की जोड़ी के दिवाने हो गए।अब सिनेमा हॉल में ऑडियंस की भीड़ सिर्फ और सिर्फ राजेश और शर्मिला की जोड़ी को देखने जुटती। इस बात से किसी को फर्क नहीं पड़ता था कि फिल्म के डायरेक्टर कौन है और प्रोड्यूसर कौन।
फिल्म के हर सीन में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर इतना सहज होते थे कि दर्शक खुद को फिल्म से जोड़ लेते।
‘अमरप्रेम’ की कहानी
एक बार फिर से शक्ती सामंत ने राजेश और शर्मिला की जोड़ी पर भरोसा किया। और 28 जनवरी 1972 को रिलीज़ हुई फिल्म अमर प्रेम। फिल्म ने कामयाबी की ऐसी चिंगारी भड़काई की आज भी इस फिल्म की कामयाबी से इंड्स्ट्री रौशन है। फिल्म के इस डायलॉग ने इतिहास रच दिया। वैसे तो इस फिल्म की खासियत ही राजेश खन्ना और शर्मिला टौगोर की जोड़ी का था। फिल्म का विषय भी काफी गंभीर था। और इस जोड़ी ने फिल्म मे जान फूक दिया।अमर प्रेम का हर गाना माइट स्टोन साबित हुआ।
अब बताते है बदमान फ़रिश्ते और छोटी बहू के बारे में। ये दोनो ही फिल्में 1971 में आई। बदनाम फरिश्ते ने तो कुछ खास कमाल नहीं दिखाया लेकिन छोटी बहू एक बार फिर हिट हुई। अमर प्रेम के बाद अगर कुछ फिल्मों को छोड़ दिया तो राजेश और शर्मिला की जोड़ी ने फिर वो जादू नही किया जो अराधना और अमर प्रेम में किया था। 1972 से 77 के बीच कई फिल्मे आई मसलन मालिक, दाग, राजा रानी, आविष्कार और त्याग। मगर राजा रानी को छोड़ सभी फिल्में फ्लॉप हो गई।
राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी
अगर बात सुपर स्टार की जोड़ियों की हो रही है तो मुमताज़ के बिना बात अधूरी रहेगी। 1969 में बंधन से बनी राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी 1975 तक यानि फ़िल्म प्रेम कहानी तक बनी रही। और इन छ सालों में इस जोड़ी ने इंड्स्ट्री को दिए सात अच्छी फ़िल्में और दर्जनों हिट गाने।1969 में जब राज खोंसला की फ़िल्म दो रास्ते रिलीज हुई थी, उस समय तक इंड्स्ट्री में मुमताज़ की कोई खास पहचान नहीं थी। लेकिन इस एक हिट फ़िल्म ने मुमताज़ को रातों रात स्टार बना दिया। इतना ही नहीं इस फ़िल्म से राजेश खन्ना और मुमताज़ की जोड़ी का जो सिलसिला शुरू हुआ वो अगले आठ सालों तक चला।
1969 में आई फ़िल्म दो रास्ते के लगभग सभी गाने हिट थे। मुमताज़ और राजेश खन्ना की ऑनस्क्रीन कमेस्ट्री को लोगों ने खूब पसंद किया। रास्ते के बाद 1970 में आई फ़िल्म सच्चा झूठा भी हिट रही। 1972 में काका और मुमताज़ की जोड़ी कुछ कमजोर पड़ी थी। क्योंकि इस साल आई इस जोड़ी की दो फ़िल्में दुश्मन और अपना देश औसत रही थी। लेकिन 1974 में फ़िल्म रोटी में इस जोड़ी ने एक बार फ़िर से तहलका म़चा दिया।।और इसी साल आई फ़िल्म आप की कसम ने तो कमाई के उस समय के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले ।।
राजेश खन्ना और मुमताज़ की जोड़ी की आखिरी फ़िल्म थी प्रेम कहानी। राज खोंसला की ये फ़िल्म उस साल शोले के बाद दूसरी बड़ी हिट फ़िल्म थी। हांलांकि इसके बाद भी ये जोड़ी 1977 में फ़िल्म आइना में दिखी। लेकिन आइना में राजेश खन्ना गेस्ट एपियरेंस के रोल में थे। इसलिये कहा जा सकता है प्रेम कहानी से राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी का अंत हो गया ।