जब राजकपूर की पहली मुहब्बत ने उन्हे ठुकराते हुए कहा था ‘तेरा यहां कोई नहीं’

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बॉबी की कहानी में डाल दी अपनी कहानी
फ़िल्म बॉबी में राजकपूर ने डिम्पल और ऋषि कपूर की जो मुलाकात दिखाई थी वो दर-असल राजकपूर के जीवन की एक घटना था। बॉबी में ॠषि कपूर अपनी आंटी से मिलने उनके घर जाते हैं और वहां हर दरवाज़ा खोलती हैं डिम्पल।। उस समय डिम्पल के हाथों में आटा लगा था। बिल्कुल ऐसी ही घटना राजकपूर की जिंदगी में भे घटी थी। वो साल था 1946 का। राजकपूर अपनी फ़िल्म आग की शुरुआत कर चुके थे। अपने फ़िल्म के कुछ खास सीन्स को शूट करने के लिए राजकपूर को एक स्टूडियों की तलाश थी। इसी बीच उन्हे पता चला कि, नरगिस की मां जद्दनबाई मुंबई के एक फ़ेमस और बड़े स्टूडियों में रोमियों और जूलिएट की शूटिंग कर रही है। जद्दनबाई से वो स्टूडियों कुछ दिनों के लिए उधार लेने के लिए राजकपूर उनसे मिलने के लिए उनके घर गए, लेकिन राजकपूर को क्या मालूम था कि उस रोज उनकी दुनिया बदलने वाली है। जब वो जद्दनबाई के घर पहुंचे तो घर का दरवाजा खोला जद्दनबाई की बेटी नरगिस ने। उस समय नरगिस की हाथों में बेसन लगा हुआ था। पहली नजर में नरगिस , राजकपूर के दिलो-दिमाग पर छा गई। उस मुलाकात का राजकपूर के दिलो-दिमाग पर इतना गहरा असर था कि 1946 में हुई इस मुकालात को राजकपूर ने करीब सत्ताईस साल बाद अपनी फ़िल्म बॉबी में हूबहू उतार दिया

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