दिल्ली:
पाकिस्तान को आज बेहद कड़ा संदेश देते हुए अमेरिका ने कहा है कि उसके पास केवल ‘‘चुनिंदा’’ आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का विकल्प नहीं है और उसे उन आतंकियों को भी निशाने पर लेना होगा जो उसकी जमीन पर पनाह लेकर उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
अमेरिका ने साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के गुनाहगार हाफिज सईद की उस टिप्पणी को भी खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि अमेरिका और भारत ने चीन-पाकिस्तान के आर्थिक गलियारे के खिलाफ हाथ मिला लिया है। यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है।
सईद ये यह टिप्पणी इसलिए की थी क्योंकि भारत ने पाकिस्तान से कहा था कि या तो वह सईद को उसके हवाले कर दे या फिर हमलों के मामले में कोई ठोस कदम उठाकर दिखाए।
नियमित होने वाले संवाददाता सम्मेलन में उप प्रवक्ता मार्क टोनर से सईद की टिप्पणियों पर सवाल पूछा गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘मैं इन्हें स्पष्ट तौर पर खारिज करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान के साथ हमारे बेहद मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं। लेकिन आतंकरोधी सहयोग के मसले पर हम यह स्पष्ट करते हैं कि पाकिस्तान यह चयन नहीं कर सकता है कि उसे किन आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करनी है और किसके खिलाफ नहीं। उसे उन आतंकी समूहों के खिलाफ भी कार्रवाई करनी होगी जो उसके पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और जो पाकिस्तानी धरती पर पनाह लेना चाहते हैं।’’
इससे पहले अमेरिका ने कहा था कि क्षेत्र में हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों द्वारा पैदा किए गए खतरों के मसले पर वह पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ लगातार ‘‘बातचीत’’ कर रहा हैं। खतरनाक आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ कई खतरनाक हमले किए हैं जिसमें 2008 में काबुल में भारतीय मिशन पर की गई बमबारी भी शामिल है। इस हमले में 58 लोगों की मौत हो गई थी। इस संगठन ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों, अफगान सरकार और अन्य असैन्य ठिकानों के खिलाफ भी हमलों और अपहरणों को अंजाम दिया है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टन ने हक्कनी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं करने के कारण पाकिस्तान को कांग्रेशनल सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था जिसके कारण इस्लामाबाद को मिलने वाली 30 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद रोक दी गई थी।