यहां बिना रावण फूंके 75 दिनो तक मनता है दशहरे का त्योहार

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    कारीगरों को बदलनी पड़ती है जाति

    दशहरे के लिए विशेष रथ तैयार किया जाता है, इस रथ को बनाने की परंपरा करीब 600 साल पुरानी है। रथ बनाने का काम केवल संवरा जनजाति के आदिवासी कर सकते हैं, लेकिन अब यह जनजाति विलुप्त हो चुकी है। इस वजह से दूसरी जनजाति के आदिवासी अपनी जाति परिवर्तित कर संवरा बनते हैं। दशहरे के बाद अपनी जाति में दोबारा शामिल होने के लिए इन आदिवासियों को आर्थिक दंड देना पड़ता है।

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