राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी की सियासी चाल महागठबंधन पर भारी पड़ती जा रही है। जहां बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विपक्षी एकजुटता को झटका देकर कोविंद को समर्थन देने का फैसला किया है, वहीं कांग्रेस के साथ खड़ी कुछ दूसरी पार्टियां भी स्पष्ट राय रखने से कतरा रही हैं। इस बीच, कांग्रेस ने बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन की साझीदार जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार पर पहला बड़ा हमला बोला है। अभी तक इस मामले को लेकर कांग्रेस नीतीश या जेडीयू को निशाने पर लेने से बचती दिखी थी।
कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा कि जो लोग एक सिद्धांत में भरोसा करते हैं, वे सिर्फ एक फैसला लेते हैं। आजाद के मुताबिक, जिन लोगों को कई सिद्धांतों में भरोसा है, वे कई तरह के फैसले लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘ वह (नीतीश) पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने बिहार की दलित की बेटी को हराने का फैसला किया है, हम नहीं।’ बता दें कि विपक्ष की ओर से पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को राष्ट्रपति चुनाव में कैंडिडेट बनाने के फैसले पर नीतीश ने कहा था कि विपक्षी गठबंधन ने बिहार की बेटी को हराने के लिए मैदान में उतारा है।
बिहार के महागठबंधन में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। नीतीश के कोविंद को समर्थन की वजह से जेडीयू और आरजेडी में जुबानी जंग तेज हो गई है। दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं। यहां तक कि लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने भी नीतीश की आलोचना की थी। वहीं, नीतीश ने मीरा को कैंडिडेट बनाए जाने को हारने की रणनीति करार दिया था। बता दें कि कोविंद के राष्ट्रपति चुनाव जीतने की पूरी उम्मीद नजर आ रही है क्योंकि गैर एनडीए दलों का भी पर्याप्त समर्थन कोविंद को मिलता नजर आ रहा है।
एनडीए कैंडिडेट कोविंद 28 जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए कैंपेन के मकसद से श्रीनगर जाएंगे। कोविंद के साथ केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, जितेंद्र सिंह और बीजेपी के सचिव राम माधव भी होंगे। कोविंद यहां बीजेपी के अलावा पीडीपी के सदस्यों से मिलकर उनका समर्थन मांगेंगे। इससे पहले, रविवार को कोविंद ने यूपी में सीएम योगी आदित्यानाथ से मुलाकात की थी। 28 जून को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन प्रक्रिया खत्म हो जाएगी। चुनाव 27 जुलाई को होगा।