दिल्ली
अपने परमाणु जखीरे में इस समय करीब 230 परमाणु हथियार रखने वाला चीन एक आधुनिकीकरण एवं विस्तार योजना पर काम कर रहा है जिसके तहत इस बात का मूल्यांकन किया जाएगा कि अमेरिकी हमले के जवाब में उसे असहनीय नुकसान पहुंचाने के लिए क्या जरूरी होगा।
वाशिंगटन स्थित आम्र्स कंट्रोल एसोसियेशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘इस बात के बहुत कम सबूत हैं कि चीन भारतीय परमाणु शक्ति को लेकर काफी चिंतित है या फिर रूस के विशाल परमाणु जखीरे को लेकर चिंतित है जो कि तकनीकी दृष्किोण से उसके लिए कहीं ज्यादा बड़ा खतरा है।’’ ‘‘एशिया की जटिल एवं तेजी से खतरनाक हो रही परमाणु हथियार ज्यामिती’’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया कि चीन का न्यूनतम परमाणु बल ढांचा और पहले हथियारों का इस्तेमाल ना करने का सिद्धांत काफी समय से उल्लेखनीय रूप से स्थिर बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया कि लेकिन बीजिंग ऐसे मूल्यांकन के अनुरूप अपने परमाणु बलों को आकार और ढांचा देता प्रतीत हो रहा है कि अमेरिकी हमले के जवाब में उसे असहनीय नुकसान पहुंचाने के लिए क्या जरूरी होगा।
इसमें कहा गया, ‘‘दो दशक से ज्यादा समय से चीनियों के पास अमेरिका के करीब 20 परमाणु हथियारों को निशाना बनाने की ही क्षमता रही है जो कि चीन को निशाना बनाने में सक्षम अमेरिकी परमाणु हथियारों का करीब एक प्रतिशत है।’’ रिपोर्ट के अनुसार हाल के वषरें में चीन रूस और अमेरिका द्वारा तैनात पूर्ण श्रेणी प्रतिरोध जैसा कुछ हासिल करने की दिशा में बढ़ा है।
इसमें कहा गया, ‘‘पिछले दशक में चीन ने अपने रोड-मोबाइल मिसाइल तैनात किए जो अमेरिका के मुख्य शहरों को निशाना बना सकते हैं। पिछले साल से उसने अपने डीएफ-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों पर कई और स्वतंत्र रूप से लक्ष्य बनाने वाले हथियार तैनात करने शुरू कर दिए, इस साल चीन अपने परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों की समुद्र में गश्त शुरू करेगा।’’