पिछले सप्ताह चीन ने दूसरी बार भारत के रेजॉलूशन में बाधा डालने का काम किया। दरअसल, अगर मसूद को यूएन की काउंटर टेररेजम कमिटी अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर देती है तो यूएन के सदस्य देश के नाते पाकिस्तान को मसूद और उसके संगठन के खिलाफ प्रतिबंध लगाने समेत दूसरी कड़ी कार्रवाई करनी होगी। पाकिस्तान ऐसा कतई नहीं चाहता और चीन इसमें उसकी की मदद कर रहा है।
भारत ने चीन के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। भारत ने कहा है कि चीन के इस कदम से खतरनाक संदेश जाएगा। भारत ने ‘अच्छे आतंकवादी’ और ‘बुरे आतंकवादी’ वाली थ्योरी के लिए पाकिस्तान की भी कड़ी निंदा की है। मसूद को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किए जाने की मांग पर पहली बार चीन ने 6 महीने पहले तकनीकी रोक लगाई थी। पठानकोट हमले में मसूद के शामिल होने की बात कहते हुए भारत ने फिर इस मांग को दोहराया था जिस पर चीन ने तकनीकी रोक लगा दी। यह तकनीकी रोक तीन महीने की होगी।
अक्टूबर 15-16 को गोवा में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में यह मुद्दा उठा सकते हैं। मसूद को बचाने की कोशिश में लगे चीन ने हालांकि यह भी कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का वह पूरा समर्थन करता है।