दिल्ली
बलूचिस्तान मामले को उठाने को लेकर अब श्रेय लेने का होड़ चल रहा है। कोई मोदी को इस मामले पर सबसे पहले बोलने वाला पीएम बता रहा है तो कोई कांग्रेस को। इसी मामले पर आज कांग्रेस ने कहा कि बलूचिस्तान में हालात को लेकर सबसे पहले चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नहीं जताई बल्कि पार्टी नीत संप्रग सरकार ने वहां फैली हिंसा और पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के बारे में लगातार बात की है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘कांग्रेस और संप्रग सरकार ने पहले कई मौकों पर बलूचिस्तान में और पीओके में भी पाकिस्तानी सेना और तंत्र द्वारा मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा की है।’’ उन्होंने कहा कि संप्रग ने 27 दिसंबर, 2005 को पहली बार ऐसा किया था।
सुरजेवाला ने कहा कि इसके अलावा दो मार्च, 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बलूचिस्तान में बढ़ती हिंसा और वहां की जनता के दमन के लिए पाकिस्तान सरकार द्वारा जंगी जहाजों के इस्तेमाल के साथ भारी सैन्य कार्रवाई की स्पष्ट निंदा की थी।
उन्होंने कहा कि इससे पहले पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में 50 बलूच लोगों की मौत की खबर के मद्देनजर विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने उम्मीद जताई थी कि पाकिस्तान सरकार संयम बरतेगी और बलूचिस्तान के लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए शांतिपूर्ण बातचीत का रास्ता अपनाएगी।
एक दिन पहले ही स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में बलूचिस्तान के संदर्भ में दिये गये बयान पर कांग्रेस की अलग अलग प्रतिक्रियाएं आई थीं। एआईसीसी ने इस संबंध में वरिष्ठ पार्टी नेता सलमान खुर्शीद के बयान से दूरी बनाई थी।
कांग्रेस ने खुर्शीद के बयान को उनकी निजी राय कहा था।
खुर्शीद ने कहा था, ‘‘पीओके हमारा अधिकार है। हमारा हक है। हम इसका समर्थन करेंगे। परंतु बलूचिस्तान को लेकर आप हमारे मामले को खत्म कर रहे हैं। हम पीओके को लेकर अपने खुद के मामले को कमजोर कर रहे हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा था कि पाकिस्तान को भारत पर निशाना साधने का एक और अतिरिक्त हथियार मिल जाएगा क्योंकि ‘हम पड़ोसी देशों में अत्याचारों के बारे में नहीं बोलते।’ जारी