Prev1 of 7
Use your ← → (arrow) keys to browse

कोबरापोस्ट और इंडिया न्यूज़ की खास तहकीकात, ‘ऑपरेशन ब्लैक मशीन’  जिसमें में सामने आया कि नोटबंदी के बाद कैसे देशभर में स्वाइप मशीनें बेचने वाली निजी कंपनियां अपने फायदे के लिए, नियम कानून को तोड़कर अपनी स्वाइप मशीनों को ऐसे हाथों में सौंप रही हैं, जहां उनका इस्तेमाल घातक साबित हो सकता है, और इससे देश की सरकार, अर्थव्यवस्था और आम जनता को भी नुकसान भुगतना पड़ सकता है।

इसे भी पढ़िए :  EXCLUSIVE: उत्तराखंड की चुनावी बिसात, फिर से आएगी सत्ता 'हाथ'? देखें सीएम हरीश रावत से खास मुलाकात

एक तरफ हम कैशलेस इंडिया का सपना देख रहे हैं, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन्स पर जोर दे रहे हैं, लेकिन जब बारी आती है इस सपने को साकार करने की तो सबसे पहले स्वाइप मशीनों का जिक्र होता है। जिसके इस्तेमाल से हम अपने डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से सीधा पेमेंट कर सकते हैं। लेकिन कंपनियां इन स्वाइप मशीनों को उन लोगों को भी धड़ल्ले से बांट रही है, जो इनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। कैसे ? पढ़िए पूरी रिपोर्ट-

इसे भी पढ़िए :  यह लड़का बनेगा दुनिया का पहला एलियन, इसका नहीं होगा कोई जेंडर, ऑपरेशन करवा कर हटवाए अपने जननांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मंत्री ने देश में फैले भ्रष्टाचार को रोकने और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लिया। इस फैसले के बाद लोगों के सामने कैश की भारी किल्लत देखी गई। बैंकों और एटीएम के बाहर लोग घंटों लाइन में लगकर रुपये निकालने पहुंचे, इसी बीच सरकार का तर्क था कि इस फैसले से डिजिटल पेमेंट सिस्टम को बढावा मिलेगा और काले धन पर रोक लगेगी। इसके बाद स्वेपिंग मशीनों की डिमांड रातों रात इतनी बढ गई की इन मशीनों की पूर्ति करना बैंको के लिए मुश्किल हो गया।

इसे भी पढ़िए :  अलगाववादियों के प्रस्तावित मार्च को देखते हुए कश्मीर में फिर से कर्फ्यू

आगे पढ़ने के लिए अगले स्लाइड पर क्लिक करें

Prev1 of 7
Use your ← → (arrow) keys to browse